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|| Jani Chor Bawdi || जानी चोर की गुफ़ा “जंहा छुपा है, जानी चोर का खज़ाना, सरकार को भी नहीं मिला यह खजाना
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LOCATION :--
Jani chor ki bawdi(Shahjahaan ki bawdi)
Meham, Haryana 124112
g.co/kgs/Kha5CD
।। खंडहर हो रही मुगल काल में बनी महम की बावड़ी ।।
महम शहर को समूचे देश में पहचान दिलाने वाली ऐतिहासिक बावड़ी यानि स्वर्ग का झरना रख रखाव नहीं होने से दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा ढाई दशक पूर्व ऐतिहासिक बावड़ी का संरक्षण कर लिया गया है। बावजूद इसके बावड़ी की लंबी चौड़ी दीवारें समय के साथ धराशायी हो रही है। जिससे निकट भविष्य में बावड़ी जमींदोज हो किताबों में इतिहास बन जाएगी।
शहर की पूर्वी-दक्षिणी दिशा में स्थित कला के अमर प्रेमी मुगल सम्राट शाहजहां के सेनापति सैदूक लाल द्वारा 17वीं शताब्दी में बनवाई गई महम की ऐतिहासिक बावड़ी पर समय की मार भारी पड़ रही है। प्रदेश भर में 1995 में आई भीषण बाढ़ ने बावड़ी के एक बड़े हिस्से को बरबाद कर दिया था। बेहद दर्शनीय स्थल होने की वजह से भारतीय पुरातत्व विभाग ने बावड़ी के गिरे हिस्से को दुरुस्त करने का कार्य किया। लेकिन अगले साल फिर से बावड़ी में पानी भरने की वजह से ऐतिहासिक स्थल का वहीं हिस्सा फिर से धराशायी हो गया और इसके बाद फिर से विभाग ने इसकी सुंदरा बनाए रखने की जहमत नहीं उठाई। बावड़ी की लंबी चौड़ी दीवार के एक हिस्से का मलबा वर्षो से इसके अंदर पड़ा हुआ है। बावड़ी के अंदर पड़े मलबे से इसकी सुंदरता पर ग्रहण लग गया है। हालात यह है कि खंडित दीवारों से धीरे धीरे ईटे गिर रही है और मिट्टी कटाव भी हो रहा है। बावजूद इसके बावड़ी का जीर्णोद्धार नहीं किया जा रहा। बावड़ी की एतिहासिक महत्ता के चलते यहा पर आने वाले पर्यटक एवं अन्य व्यक्ति इसकी दशा देखकर सरकार व विभाग को कोसते हुए वापस लौट जाते है।
हरियाणा के गाँव महम में एक ऐसा किला है जिसके अंदर एक कुआँ है जिसमें सुरंग है और जहाँ दिल्ली और लाहौर तक का रास्ता निकलता है जिसमें ज्ञानी चोर का खज़ाना छुपा है आज तक भी।
बावड़ी में लगे शिलालेख के अनुसार इस बावड़ी का नाम है स्वर्ग का झरना । और इसका निर्माण 1658 - 59 के बीच शाहजहाँ के सूबेदार सैदू कलाल ने करवाया था । पुराने जमाने में पानी की जरूरतों के लिए भी बावड़ियों का निर्माण होता था । इस बावड़ी का निर्माण पानी की जरूरत के साथ साथ राहगीरों के आराम के लिए भी कराया गया था । यहाँ छोटे छोटे कक्ष भी बने हैं । कुएं तक जाने के लिए कई सीढ़ियाँ उतरनी पड़ती हैं । वैसे चारो तरफ से उतने के लिए भी सीढ़ियाँ है । कुएं के बगल में एक हौद भी बना है । हांलांकी कुए का पानी बिल्कुल सड़ चुका है लोहे के दरवाजे भी जर्जर हो चुके हैं । पर अब कई जगह मरम्मत की गई है बड़े अच्छे तरीके से । पहली नजर में लगता ही नहीं कि ये मरम्मत की गई है । बावड़ी के चारों तरफ लोहे की रेलिंग लगा दी गई है चारों तरफ घास भी लगा दी गई है और बहुत बढ़िया तरीके से ध्यान भी रखा जा रहा है लेकिन कुएँ में और उसके आस पास बहुत कूड़ा पड़ा था पानी में पोलोथीन बैग पड़ी थी । वैसे तो इसके सौ मीटर तक कोई निर्माण नहीं कर सकते पर यहाँ रेलिंग से थोड़ी दूर पर ही निर्माण हो चुके हैं । पर मैं निजी तौर पर प्रशासन के कार्यों से संतुष्ट हूँ लेकिन सिर्फ मरम्मत के लिए , अंदर की सफाई के लिए बिल्कुल नहीं। क्योंकी बाहरी सुंदरता से अधिक अांतरिक सुंदरता भी जरूरी है ।ये तो आप भी मानते होंगे।
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