बहुत ही अच्छे अच्छे भजनों का चयन किया है, किंतु ये सभी भजन सहज, सरल रूप में पारम्परिक तरीके से गाए जाते तो बहुत ही अच्छा होता किंतु छोटूसिंह ने भीड़ से अलग दिखने के चक्कर में अपनी बेवजह कलाबाजियां दिखाकर सबका कबाड़ा कर दिया। जहां राग के आरोह अवरोह की आवश्यकता ही नहीं थी वहां भी गायक ने अपनी हुशियारी दिखाने की कोशिश कर सारा गुड़ गोबर कर दिया। 👎👎