Рет қаралды 17,330
दोस्तों नेपाल अध्यात्म की भूमि है और एक समय पहले यह जगह पूरी तरह से जिंदगी के आध्यात्मिक पहलुओं से जुड़ी हुई थी। वैसे भारत सहित पूरी दुनिया में भोलेनाथ के सैकड़ो मंदिर और तीर्थ स्थान मौजूद है। जो अपने चमत्कारों और धार्मिकता की वजह है विश्व प्रसिद्ध है। वैसे तो भोलेनाथ के अनेको मंदिर है उन्ही में से एक मंदिर है भगवान शिव का पशुपतिनाथ मंदिर। यह मंदिर शिव के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है इस मंदिर के बारें में कहा जाता है कि आज भी यहां पर भगवान शिव विराजमान है। पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू में बागमती नदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह नेपाल का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है। इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए देश-विदेश के लाखों लोग आते है ताकि उनकी मनोकामना पूर्ण हो सके। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ लगी रहती है। नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर जितना दुनिया भर में प्रसिद्ध है उससे कहीं ज्यादा यह मंदिर अपने अंदर ऐसे अनोखे रहस्यो को समेटे हुए हैं जिनके बारे में वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाया हैं आज के इस वीडियो में न केवल हम आपको पशुपतिनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में बताएंगे बल्कि इस मंदिर से जुड़े हुए उन तमाम रहस्यों से भी आपको रूबरू करवाएंगे जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। तो दोस्तों अपने कमर की पेटी बांध लीजिए और वीडियो को शुरू से लेकर अंत तक बिना स्किप किए पूरा देखिए।
दोस्तों सबसे पहले हम जानते हैं कि पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास क्या है। पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण कब हुआ था, इसके बारे में कई सारी कथाएं प्रचलित है।
पशुपतिनाथ मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। यह मंदिर नेपाल के सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का केंद्र रहा है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं, विशेष रूप से महाशिवरात्रि के अवसर पर।
वही मंदिर के निर्माण को लेकर जो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं उनके अनुसार जब महाभारत के युद्ध में पांडवों द्वारा अपने ही रिश्तेदारों का रक्त बहाया गया तब भगवान शिव उनसे बेहद क्रोधित हो गए थे। श्रीकृष्ण के कहने पर वे भगवान शिव से मांफी मांगने के लिए निकल पड़े। गुप्त काशी में पांडवों को देखकर भगवान शिव वहां से विलुप्त होकर एक अन्य स्थान पर चले गए। आज इस स्थान को केदारनाथ के नाम से जाना जाता है।
शिव का पीछा करते हुए पांडव केदारनाथ भी पहुंच गए लेकिन भगवान शिव उनके आने से पहले ही भैंस का रूप लेकर वहां खड़े भैंसों के झुंड में शामिल हो गए। पांडवों ने महादेव को पहचान तो लिया लेकिन भगवान शिव भैंस के ही रूप में भूमि में समाने लगे। इसपर भीम ने अपनी ताकत के बल पर भैंस रूपी महादेव को पकड़कर धरती में समाने से रोक दिया। भगवान शिव को अपने असल रूप में आना पड़ा और फिर उन्होंने पांडवों को क्षमादान दे दिया। लेकिन भगवान शिव का मुख तो बाहर था लेकिन उनका देह केदारनाथ पहुंच गया था। जहां उनका देह पहुंचा वह स्थान केदारनाथ और उनके मुख वाला स्थान पशुपतिनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बहुत से लोग पशुपतिनाथ मंदिर के नाम को लेकर अचंभित रहते हैं आखिर इस मंदिर का नाम पशुपतिनाथ ही क्यों पड़ा? तो दोस्तों इसके पीछे का कारण यह है कि देवों के देव महादेव समस्त संसार के भगवान माने जाते हैं। पशुपतिनाथ कहे जाने के पीछे यह वजह है कि वह जितना अधिक प्रेम संसार के प्राणियों से करते हैं उतना ही अधिक प्रेम वे जीव-जन्तुओ से भी करते हैं। उनके ह्रदय में जीव-जंतुओं और पशुओं के लिए यह अपार प्रेम देखकर ही उन्हें पशुपतिनाथ कहा जाता है बस इसी के आधार पर मंदिर का नाम पशुपतिनाथ मंदिर रखा गया।
पशुपतिनाथ मंदिर का वर्तमान पुनहर्निर्माण 17वीं शताब्दी में मल्ल वंश के राजा भूपतेंद्र माल्ला द्वारा करवाया गया था। इससे पहले यहां एक लकड़ी का मंदिर था, जिसका कई बार पुनहर्निर्माण किया गया।
भूपलेंद्र माल्ला से पहले, राजा अर्जुन माल्ला ने 1300 के दशक में इस मंदिर का पुनहर्निर्माण किया था जब सुल्तान शम्सुद्दीन ने काठमांडू पर आक्रमण किया और पशुपतिनाथ मंदिर को जमीन पर जला दिया और उसका सारा सोना लूट लिया था। जिसमें सोने की छत और उसके प्रत्येक दरवाजे पर चार सुनहरे घोड़े शामिल थे जो राजा अनंत देव माल्ला ने 1200 के दशक में इन घोड़ों को दान किया था।
पशुपतिनाथ मंदिर का जो आज रूप देखने को मिल रहा है उसका जो स्वरूप है वह नेपाल नरेश मल्ल ने 1697 में बनाया गया था मतलब उन्होंने इस मंदिर को आकार दिया था। पशुपतिनाथ मंदिर तब से लेकर अब तक बहुत बार छतिग्रस्त हुआ है इसे बहुत बार नष्ट करने की कोशिश की गई है, लेकिन अलग-अलग नरेशों द्वारा इस मंदिर की मरम्मते कराई गयी।
साल 2015 अप्रैल में भयंकर भूकंप आया था जिसकी वजह से मंदिर पर भी बहुत असर पड़ा मंदिर की जो इमारते थी वह छतिग्रस्त हो गयी थी लेकिन जो इसका प्रमुख मंदिर था उसको कोई भी नुकसान नहीं पंहुचा। इतने विशाल भूंकप के बाद भी यह पशुपतिनाथ का मुख्य मंदिर ज्यों के त्यों ही सुरक्षित बना रहा।
हमने इस मंदिर के इतिहास और मंदिर का नाम पशुपतिनाथ क्यों पड़ा इसके बारे में जान लिया है अब हम एक-एक करके इस मंदिर से जुड़े हुए तमाम रहस्यों के बारे में जानते है।
हमारे चैनल कि किसी भी विडियो की स्क्रिप्ट को copy करने पर बिना किसी समझौते के Copyright ©️ strike दिया जायेगा और किसी भी तरह से वापस नही लिया जायेंगा। इसलिए भूल कर भी हमारी विडियो की स्क्रिप्ट को copy ना करें।
#pashupatinath
#jyotirlinga
#mahadevmandir
#mandir
#rahasyamayimandir