सृष्टि नहीं नारी बिना, यही जगत आधार। नारी के हर रूप की, महिमा बड़ी अपार।। जिस घर में होता नहीं ,नारी का सम्मान। देवी पूजन व्यर्थ है, व्यर्थ वहाँ सब दान।। लक्ष्मी, दुर्गा, शारदा, सब नारी के रूप। देवी सी गरिमा मिले, नारी जन्म अनूप।। कठिन परिस्थिति में सदा, लेती खुद को ढाल। नारी इक बहती नदी, जीवन करे निहाल।।