पूजनीय महापुरुष जी,आप दोनों की गुफ़्तगू बहुत ही गहराई वाली थी ।आप लोग तर्क रहित गुफ़्तगू कर रहे थे ।कोटि कोटि नमन एवम् धन्यवाद ।
@aparokshanubhuti.ratishanand3 күн бұрын
ॐ
@Nitesh-Dahiya5 күн бұрын
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@aparokshanubhuti.ratishanand3 күн бұрын
ॐ
@MrAshokparbhakar5 күн бұрын
🙏♥️🙏
@aparokshanubhuti.ratishanand3 күн бұрын
ॐ
@ManojGupta-hm1gc2 күн бұрын
यह ब्रह्मांड जो भी आवाज ध्वनि तरंगित हो रही है यह शब्दों में प्रकाशित हो रही है हर एक के कानों मे माइक की तरह आकर्षित होते रहता है यह सोच के आधीन होता माइंड एक मशीन की तरह अपना काम करते रहता है जैसे राम के बारे मे सोच रहे तो राम की तरह विचार बना रहे है अगर सोच गलत बना रहे है तो गंदा माइंड विचार कर रहा है। इसी लिए कहा गया है जैसी सोच वैसी विचार दो कान इसीलिए है गंदा अच्छा एक स्थित है बस सिद्ध करना होगा जैसे आंख है दो दिखाई दे रहा है एक यह कैसे हो रहा है जो कोई सोचता है कान है माइक माइंड है मशीन और मुंह है लाउडस्पीकर जो सोचेंगे वही बोल देगा इसी लिए धैर्य के साथ समझे राम