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एस डी नारंग की फिल्म “शहनाई” (1964) कोई बहुचर्चित फिल्म नहीं साबित हुई.. सिवाय इस बात के कि, जैसा की उस दौर में बनी अधिकतर फिल्मों के हुआ करते थे, शहनाई के गीत काफी हिट हुए. पर उन गीतों में से प्रस्तुत गीत “न झटको ज़ुल्फ़ से पानी..” आज भी उतना ही लोकप्रिय है.
फिल्म अपने गीतों की वजह से तो चली ही, एक वजह और थी... फिल्म की हीरोइन राजश्री. शायद बहुत कम लोग आज राजश्री के बारे में जानते हों. 60 के दशक में जहां एके से एक ख़ूबसूरत हीरोइनों ने अपनी खूबसूरती से दर्शकों को अपना मुरीद बना रखा था और एक तरह से फिल्म की सफलता की गारंटी होती थीं, वहीं राजश्री की खूबसूरती के दीवानों की भी कमी नहीं थी.
मशहूर फ़िल्मी हस्ती वी शांताराम जी की बेटी राजश्री (उनकी दूसरी पत्नी जयश्री की बेटी) थी भी बहुत ख़ूबसूरत. जन्म 08 Oct 1944. खूबसूरती और अभिनय तो विरासत में ही मिला था. दस साल की उम्र में ही पिता की फिल्म ‘सुबह का तारा’ (जिस में उनकी मां जयश्री हीरोइन थीं) में राजश्री ने अपने उत्तम अभिनय से सबको चकित कर दिया. उन्हें फ़िर लीड रोल मिलने में ज्यादा देर नहीं लगी. 1963 में मनोज कुमार की फिल्में “गृहस्थी” और “घर बसा के देखो”, उसके बाद “शहनाई” में उन्होंने अपनी अदाकारी और खूबसूरती से अग्रिम पंक्ति में अपनी जगह बना ली. फिर पिताश्री ने “गीत गाया पत्थरों ने” (1964) उन्हें जीतेंद्र के साथ पेश किया. जीतेंद्र की ये Debut फिल्म थी. शम्मी कपूर की “जानवर” (1965) की “लाल छड़ी मैदान खड़ी” की ‘लाल छड़ी’ राजश्री ही तो थीं. फिर आई राज कपूर के साथ “अराउंड दी वर्ल्ड इन 8 डॉलर्स” (1967). सफ़लता की बुलंदियों की और तेजी से बढती राजश्री ने 1968 के आस पास अचानक यू टर्न लेकर फिल्मों से संन्यास लेने की घोषणा करके सबको सकते में तो डाल ही दिया पर उनके दीवानों पर तो मायूसी का पहाड़ ही टूट पड़ा. “अराउंड दी वर्ल्ड...” फिल्म की काफी सारी शूटिंग अमेरिका में हुई. उस दौरान 1968 में राजश्री की मुलाक़ात एक हैंडसम अमरीकी नौजवान बिजनेसमैन ग्रेग चैपमन से हुई जो मोहब्बत में तब्दील हो गई. राजश्री ने ग्रेग से शादी करने का और अमरीका में बसने का फैसला कर लिया. लिहाज़ा कई फिल्मों को, जो बन रहीं थीं, काफी नुकसान उठाना पड़ा. शांताराम जी ने बेटी की भावनाओं का सम्मान करते हुए 1972 में बॉम्बे में राजश्री और ग्रेग की भारतीय रीति रिवाजों के साथ शादी कर दी. शादी के लिए ग्रेग ने अपना नाम बदल कर गौतम रख लिया. उस के बाद राजश्री अमरीका में बस गयी. शशि कपूर के साथ “नैना” उनकी रिलीज़ होने वाली आख़िरी फिल्म थी जो 1973 में प्रदर्शित हुई.
रफ़ी साहब के कई यादगार गीतों की लिस्ट में “न झटको ज़ुल्फ़ से पानी..” का शुमार होना लाज़मी है. निहायत नज़ाक़त से और रोमांटिक अंदाज़ से उन्होंने इस गीत को गाया है. संगीतकार रवि और गीतकार राजिंदर कृष्ण.
काश इस मधुर गीत का फिल्मांकन भी उतना ही खूबसूरती से किया गया होता.