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शिक्षा को गांव-गांव तक पहुंचाएंगे, बदलाव लाएंगे, विकास की गंगा बहाएंगे... ये वादे तो चुनावी हैं और पंचायत चुनाव में आने वाले प्रधान प्रत्याशी आपसे करते भी होंगे, लेकिन शिक्षा की धारा बहाने का वादा करने वाले प्रत्याशी कितने ज्ञानी हैं, इसकी एक बानगी देखिए. प्रधान प्रत्याशियों को देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का नाम नहीं मालूम और ये पंचायत चुनाव लड़ रहे हैं, तो पंचायती राज मंत्री का नाम इनकी पहुंच में ही नहीं. राष्ट्रपति का नाम ज्ञान से कोसों दूर है. आपको बता दें कि व्यवस्था को चलाने के लिए शिक्षित होना जरूरी है और अब आगे उम्मीद है प्रत्याशी कम से कम आम ज्ञान तो जरूर लेंगे और एक सफल ग्रामीण लोकतंत्र का निर्माण करेंगे.