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🙏नमस्कार, राम-राम दोस्तों, क्या हाल है आप सभी का।
मेरे इस नए ब्लॉग में आप सभी का स्वागत है। मैं अभी हिमाचल प्रदेश राज्य के बिलासपुर जिले में स्थित श्री नैना देवी शक्तिपीठ के दर्शन कर के आया हूँ और साथ ही पंजाब राज्य के रूपनगर जिले में स्थित आनंदपुर साहिब गुरुद्वारा भी दर्शन कर के आया हूँ।
नैना देवी मंदिर (संस्कृत: नयना देवी मन्दिर) हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में है। यह शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियो पर स्थित एक भव्य मंदिर है। यह देवी के 51 शक्ति पीठों में शामिल है।वर्तमान मे उत्तर भारत की नौ देवी यात्रा मे नैना देवी का छठवां दर्शन होता है। वैष्णो देवी से शुरू होने वाली नौ देवी यात्रा मे माँ चामुण्डा देवी, माँ वज्रेश्वरी देवी, माँ ज्वाला देवी, माँ चिंतपुरणी देवी, माँ नैना देवी, माँ मनसा देवी, माँ कालिका देवी, माँ शाकम्भरी देवी सहारनपुर आदि शामिल हैं।
नैना देवी मंदिर के प्रमुख त्योहार
नैना देवी मंदिर में नवरात्रि का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। वर्ष में आने वाली दोनो नवरात्रि, चैत्र मास और अश्िवन मास के नवरात्रि में यहां पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां आकर माता नैना देवी की कृपा प्राप्त करते है। माता को भोग के रूप में छप्पन प्रकार कि वस्तुओं का भोग लगाया जाता है। श्रावण अष्टमी को यहा पर भव्य व आकषर्क मेले का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि में आने वाले श्रद्धालुओं कि संख्या दोगुनि हो जाती है। बाकि अन्य त्योहार भी यहां पर काफी धूमधाम से मनाये जाते है।
आवागमन
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वायु मार्ग
हवाई जहाज से जाने वाले पर्यटक चंडीगढ़ विमानक्षेत्र तक वायु मार्ग से जा सकते है। इसके बाद बस या कार की सुविधा ले सकते है। दूसरा नजदीकी हवाई अड्डा'अमृतसर विमानक्षेत्र में है।
रेल मार्ग कायम
नैना देवी जाने के लिए पर्यटक चंडीगढ और पालमपुर तक रेल सुविधा ले सकते है। इसके पश्चात बस, कार व अन्य वाहनो से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। चंडीगढ देश के सभी प्रमुख शहरो से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग
नैनादेवी दिल्ली से 350 कि॰मी॰ कि दूरी पर स्थित है। दिल्ली से करनाल, चण्डीगढ, रोपड़ होते हुए पर्यटक नैना देवी पहुंच सकते है। सड़क मार्ग सभी सुविधाओ से युक्त है। रास्ते मे काफी सारे होटल है जहां पर विश्राम किया जा सकता है। सड़के पक्की बनी हुई है।
प्रमुख शहरों से दूरी
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दिल्ली: 350 कि॰मी॰ दूर
जालंधर: 115 कि॰मी॰ दूर
लुधियाना: 125 कि॰मी॰ दूर
चिन्तपूर्णी: 110 कि॰मी॰ दूर
चंडीगढ: 115 कि॰मी॰ दूर
शाकम्भरी देवी: 249 कि०मी० दूर
आनन्दपुर साहिब (Anandpur Sahib) भारत के पंजाब राज्य के रूपनगर ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। यह शिवालिक पर्वतमाला के चरणों में सतलुज नदी के समीप स्थित है। आनन्दपुर साहिब सिख धर्म से सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यहाँ दो अंतिम सिख गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी और श्री गुरु गोविंद सिंह जी, रहे थे और यहीं सन् 1699 में गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना करी थी। यहाँ तख्त श्री केसगढ़ साहिब है, जो सिख धर्म के पाँच तख्तों में से तीसरा है। यहाँ बसंत होला मोहल्ला का उत्सव होता है, जिसमें भारी संख्या में सिख अनुयायी एकत्र होते हैं।
इतिहास
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आनन्दपुर साहिब से पहले यह एक माखोवाल नाम गांव था, जो कहलूर रियासत (वर्तमान हिमाचल प्रदेश) के अंतर्गत आता था। जब सिखों के नवें गुरू गुरु तेग़ बहादुर को कहलूर ने राजा ने अपनी रियासत में शरण दी, तब राजा ने गुरु साहिब को १६६५ में इस जगह बसाया। तब गुरु जी ने इस जगह का नाम माखोवाल से बदल कर चक्क नानकी रखा। फिर बाद में इस जगह का नाम आनन्दपुर पड़ा।
भौगोलिक स्थिति, आवागमन
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पंजाब व हिमाचल की सीमा पर स्थित।
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