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Naina Devi Temple (नैना देवी मंदिर) बिलासपुर Himachal #nainadevitemple #himachalpradesh #temple
मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। नैनी झील के बारें में माना जाता है कि जब शिव सती की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। नैनी झील के स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसीसे प्रेरित होकर इस मंदिर की स्थापना की गई है।
नवरात्रि के पावन दिन आ गए हैं और इन दिनों मां की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में मां के 9 रुपों की पूजा का विधान है। आज नवरात्रि के मौके पर हम मां के पावन शक्तिपीठ के बारे रहे हैं, जहां सती माता के नैत्र गिरे थे। एक ओर जहां कुछ लोग हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में माता के नैत्र गिरने की बात कहते हैं।
वहीं दूसरी ओर यह भी माना जाता है कि उत्तरांचल के नैनीताल में नैनी झील के किनारे देवी सती के नेत्र गिरे थे। यहां देवी मां का यह अनुपम मंदिर है, जिसका नाम नैना देवी है। इसे शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है। इस मंदिर में दो नेत्र हैं, जो मां नैना देवी को दर्शाते हैं।
मानसखंड के प्राचीन पाठ के अनुसार भी गंधमादन पर्वत पर, जो अब उत्तरांचल के कुमाउं में है, देवदार के उंचे वृक्ष की छाया में एक छोटा सा मंदिर था। यहां माता सती की आंखें गिरी थी। वहीं नैना देवी की झील भी बन गई।