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यह कहानी हमें हमारे प्यारे स्वर्गीय अंकित भैया (अंकित चड्डा) ने सुनाई थी। जब वे 2015 में लूनियाखेडि आए थे। तो आज ये कहानी में आप लोगो के सामने पेश कर रहे है।
कहानीकार :- हिमांशु टिपानिया
ढोलक :- मयंक टिपानिया
वीडियो :- अमन शिंदे/ प्रीतम टिपानिया