माशाअल्लाह, बयान शानदार है। मौलाना दीन के साथ साथ देश के सिस्टम में हिस्सेदारी पर क्यों नही जोर देते हैं।या आवश्यकता ही नहीं है सिर्फ रोज़ा जकात नमाज ईमान और हज ही काफी है। मौलाना चंदे पर इतना क्यों जोर देते हैं मेरा मानना है कि जितनी जरूरत इंसान दीन की है तो क्या दुनियावी अर्थात देश के सिस्टम में हिस्सेदारी की नहीं है