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यह कार्यक्रम इब्न-इ-बतूता पर केन्द्रित है जिनके उत्तर पश्चिम अफ्रीका में काफी इज्ज़त थी | इन्होने २४ साल की आयु में हज़ की यात्रा की और उसके बाद भारत आये | इन्होने बड़े पैमाने पर यात्रा की और इनके खाते लिपिबद्ध और प्रकाशित हुए | वे एक दयालु आत्मा थे और भारत के सभी धर्मों का सम्मान करते थे |