Ramanshu Sir लाठी-डंडा खानेके बाद भी धरने पर, खूब बोल रहे इनलोगों की एंट्री अब नहीं, नहीं उठेंगे |

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Күн бұрын

Пікірлер: 448
@vivekkumar-xq9yg
@vivekkumar-xq9yg 2 күн бұрын
हम तो सोचे अब नहीं जायेंगे गर्दनीबाग ,लेकिन रामांशु सर को देखकर फिर से जाना पड़ेगा,क्योंकि मैं इनको अकेला नहीं छोड़ सकते।
@AMITKUMAR-bv7qm
@AMITKUMAR-bv7qm 2 күн бұрын
Aayo bhai aur sath me dusro ko bhi le aayo
@SADDAMHUSSAIN-wo8zp
@SADDAMHUSSAIN-wo8zp Күн бұрын
Bhai mar ke ya ji ke BPSC Re exam karana hi hoga .... please 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@AdarshR-j4f
@AdarshR-j4f 2 күн бұрын
यह आंदोलन अब विकराल रूप लेगा छात्र एकता जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद......🤬🤬😡😡
@omkarbot5011
@omkarbot5011 2 күн бұрын
Ab aandolan 3 lakh student wale aao yar ab ni to kb bologe
@sunilshukla7476
@sunilshukla7476 2 күн бұрын
दिल जीतने का काम किया है रमांशु सर आपने। वाणी का तप है मौन,,,,,, 😷
@galaxysciencecoachingcente6830
@galaxysciencecoachingcente6830 2 күн бұрын
Sir ab bahut bara andolan ka rup dene ki ab aavashyakta hai
@ritu8543
@ritu8543 Күн бұрын
Students ekta zindabad
@DR.ADITI.
@DR.ADITI. Күн бұрын
बिल्कुल अब उग्र आंदोलन की जरूरत है दोस्तों
@pramilasharma1777
@pramilasharma1777 2 күн бұрын
Ramanshu sir is back 200% energy ke sath🤗🤗❤❤
@SADDAMHUSSAIN-wo8zp
@SADDAMHUSSAIN-wo8zp Күн бұрын
Re exam for all....
@Bhagatsingh-c1e
@Bhagatsingh-c1e 2 күн бұрын
Thanku sir .आपको पुनः देखकर अच्छा लगा।
@anujsinghjantatakindia
@anujsinghjantatakindia 2 күн бұрын
सही बोल रहें हैरमांशु सर सर 🚩🚩🥰🥰🙏🙏🙏🙏🙏 एकलौता सर जोहार नहीं माने 🙏🙏🙏🙏
@Bajigar-l7t
@Bajigar-l7t 2 күн бұрын
Kya kiye ye 12 din me khud ka vikas krne ke alawa... Isko kvl neta bnna tha bn gya
@supriyaraj1931
@supriyaraj1931 2 күн бұрын
सच्चे हृदय से सिर्फ रहमांशु सर अभ्यर्थियों का साथ दिए हैं...❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@SADDAMHUSSAIN-wo8zp
@SADDAMHUSSAIN-wo8zp Күн бұрын
Re exam for all
@MdAlamgir-v2f
@MdAlamgir-v2f 2 күн бұрын
I love you ramanshu sir
@ducklings8244
@ducklings8244 2 күн бұрын
Luv u ramashu sir full support 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
@pushpasingh2293
@pushpasingh2293 Күн бұрын
दोस्तों अब तो आना ही पड़ेगा। ‌ सरकार को अपनी ताकत दिखाना पड़ेगा। सारे लोग जमा हो जाओ और इतिहास बना दो। कल से आ रही हूं मैं।
@ang2371
@ang2371 2 күн бұрын
अब रमानंशू सर के नेतृत्व में परिवर्तन होगा बिहार में,,छात्र उलगुलान
@AbhayKumar-vb5dh
@AbhayKumar-vb5dh 2 күн бұрын
Love you Ramanshu sir ❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@Praveenkumar-cc8lb
@Praveenkumar-cc8lb 2 күн бұрын
शेर जग गया रामांशु सर ❤ सर खान गैंग से bpsc को आप ही बचा सकते हैं आप लॉ के भी जानकार हैं।
@shiwanandtiwari2855
@shiwanandtiwari2855 2 күн бұрын
Bpsc teacher मे 70% बाहर के लोगो को नौकरी दिया नितीश ने Aur वोट बिहार के लोग से मांग रहा है इसलिए हम बिहारी केवल लाठी खाने और नितीश को वोट देने के लिए नही है सबक भी सिखाने के लिए बने हैं
@lalanram4461
@lalanram4461 2 күн бұрын
Bahut sundar hai sir❤
@neerajkumar-lv2du
@neerajkumar-lv2du 2 күн бұрын
Salute hai sir❤
@rrk4440
@rrk4440 Күн бұрын
जो भी छात्रों को हित चाहते हैं हम उनके साथ हैं रमांशु सर और pk सर...हमे दोनों का साथ चाहिए PK हमारे लिए आमरण अनशन पर बैठे हैं, PK सर के कारण पूरे देश की नजर bpsc आंदोलन पर पड़ी है। मीडिया ने दिखाना शुरू किया है,इसीलिए हम उनके आभारी हैं। PK के बिना कोई हमें दिखा ही नहीं रहा था,हल राजनीति से ही निकलेगा या अदालत से...अरे चुप रह कर शांतिपूर्ण आंदोलन से कुछ नहीं होगा। याद रखो.... बच्चा जब रोता है तभी उसकी माँ उसे दूध पिलाती है...बहरों को जगाने के लिए चिल्लाना पड़ता है
@himanshisinghctet6233
@himanshisinghctet6233 2 күн бұрын
Luv u sir Great
@anilkumar-mg7ci
@anilkumar-mg7ci Күн бұрын
रामांशू सर आप के जज्बे को सलाम है...मगर आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जो भी व्यक्ति...चाहे वो राजनीतिक दल का हो या फिर कोचिंग शिक्षक...अगर छात्रों का साथ देने आता है तो सबका स्वागत होना चाहिए। छींटाकशी से बचिए और सबके सहयोग को स्वीकार कीजिए।🙏🙏
@abhijeetkumar4947
@abhijeetkumar4947 2 күн бұрын
आज का एग्जाम देनेवालों का रोल नो नोट कर के रखा जाना चाहिए और फाइनल रिलल्ट से उसका मिलान किया जाना चाहिए और उसके अनुपात को कुल सफल लोगों में से जारी किया जाना चाहिए।
@AMARJEETKUMAR-uz9dy
@AMARJEETKUMAR-uz9dy 2 күн бұрын
Love you sir ❤❤❤❤
@DaivikAannad
@DaivikAannad Күн бұрын
Extremely positive sir real Teacher love u so Much Ramashu sir .. Aap dil se teacher hai mere sir ..
@bipinkumar821
@bipinkumar821 2 күн бұрын
Sir herooo h❤
@Student_77
@Student_77 2 күн бұрын
Ramanshu sir deserve 💕💕❤❤❤❤❤❤
@gyanglacier
@gyanglacier Күн бұрын
Thank you sir aapko wapas dekh kar khushi hui hai ❤
@PunamKumarihisua
@PunamKumarihisua 2 күн бұрын
राहमंशु सर शेर है अकेला सभी पर भारी है गुरु जी को हमारा सलाम है
@SANTOSHKUMAR-qn7zo
@SANTOSHKUMAR-qn7zo Күн бұрын
Pk karn hi national mudda bna pk ko sb dhoka de rha h
@vivekr.rajput
@vivekr.rajput 2 күн бұрын
BPSC के मूर्खो,up-pcs का लेवल देख लो😢😢😢😢😢
@imaadsharf3091
@imaadsharf3091 2 күн бұрын
Sir apko dekh kr hi himmat milti h...❤
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@getknow7887
@getknow7887 2 күн бұрын
Love you sir
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@dawn6061
@dawn6061 2 күн бұрын
Bhai PK bhi is aandolan ko Dhar Diya hai….PK k wajah se hi National level pr log Jane hai….wrna koi ni puch ra tha…Ramanshu Sir ko….this movement needs political support
@Modernman22
@Modernman22 2 күн бұрын
You are right. Itne dino se isko koi puch nhi rha tha
@Har893
@Har893 2 күн бұрын
Bilkul sahi...inko kisi ne bheja hai..gandhi maidan sw bacho ko khich ne k liye...ye bahut bari baat hai..Kal tak police ne kaha dharna nai jana hai aaj achanak agye
@AMITKUMAR-bv7qm
@AMITKUMAR-bv7qm 2 күн бұрын
Lekin jab lathi khane ka time tha tab ramanshu sir the aur pk bhag gya tha sabko chhod kar...aur uske anshan se bhi kuch nhi hoga....10 days me agar uski tabiyat kharab hogi to usko hospital me admit kar diya jayega lekin students ko kuch milega nhi....
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@dawn6061
@dawn6061 2 күн бұрын
@ sahi bat bhai….lekin Gardanibag se kya hoga…But yahi ki sabke aane se Court-tak ja skte hai….Bade logo ka sath mail skta hai….Election bhi hai to ab kuch Politics student ko bhi krna padega apne hq ke liye…History me yad kro Azadi ke liye Gandhi, Bose, Bhagat, Tilak, JP sabka tareeka alag tha lekin GOAL ek tha…..Abhi bhi time hai…..
@Student_warrior
@Student_warrior 2 күн бұрын
Salute sir 🫡🫡🫡
@DIGAMBARKUMAR-mb8nt
@DIGAMBARKUMAR-mb8nt 2 күн бұрын
जीत और हार तो अलग बात है लेकिन वहां इतने जुल्म के बाद भी सभी भाई बहन और गुरुजन डटे हुए हैं। वो सबसे बड़ी बात है।
@rahulranjan1812
@rahulranjan1812 Күн бұрын
Thanks sir Hm sab apke sath hai
@brajmohankumar6226
@brajmohankumar6226 2 күн бұрын
Tiger is back.....
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@knowledgewithashu412
@knowledgewithashu412 2 күн бұрын
अब क्या ही होगा?😢 अब तो सिर्फ कोर्ट से उम्मीद बची है।।🙏
@AMITKUMAR-bv7qm
@AMITKUMAR-bv7qm 2 күн бұрын
Bahut kuch hoga, tmhare ghar me baithne se to pakka nhi hoga. Uske liye Ghar se bahar aana hoga.
@N-dpc
@N-dpc Күн бұрын
I salute 🙏🙏 sir
@RehantKumar-il9zd
@RehantKumar-il9zd 2 күн бұрын
I stand with pk ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@sumitsahu5466
@sumitsahu5466 2 күн бұрын
Love u sir
@chitranshsachindeo
@chitranshsachindeo Күн бұрын
कह नहीं सकते कितना गर्व हो रहा है
@ankuljha8754
@ankuljha8754 2 күн бұрын
Ur great Ramansu sir.Ur like Gandhi for Students
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@RAHULKUMAR-kv8gk
@RAHULKUMAR-kv8gk 2 күн бұрын
बहुत अच्छा सर
@shantanukumar409
@shantanukumar409 2 күн бұрын
अब बैठने का टाइम नहीं है सर अब अपने तरकश से दूसरा तीर निकालिए नहीं तो BPSC 25 जनवरी तक रिजल्ट भी निकाल देगा
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@kamleshkumar1070
@kamleshkumar1070 Күн бұрын
सर आप great ho 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@aryaprakash6578
@aryaprakash6578 Күн бұрын
रामांशु सर❤
@PriyBhan-mc1oo
@PriyBhan-mc1oo 2 күн бұрын
Sir अब आपको भरोसा है ❤❤
@ashukumar-ld4cf
@ashukumar-ld4cf Күн бұрын
Ramanshu Sir is totally innocent and an honest Satyagrahi
@sushmitakumari24
@sushmitakumari24 Күн бұрын
Thanku sir🙏🙏🙏🙏
@namankumar1899
@namankumar1899 Күн бұрын
Love you ramanshu sir❤❤❤❤
@smpsclasses9643
@smpsclasses9643 Күн бұрын
जीत हार तो होती रहती है पर sir आपने स्टूडेंट का दिल जीत लिए sir love u sir
@gyanglacier
@gyanglacier Күн бұрын
Ramanshu sir ❤❤
@ritu8543
@ritu8543 Күн бұрын
Ramanshu sir Rohit sir Deepak sir Sunami sir ko dil se pranam
@LivelyDream-j5j
@LivelyDream-j5j Күн бұрын
Full support sir
@Kfuturestar-vg4qq
@Kfuturestar-vg4qq 2 күн бұрын
आंदोलन अब भयावह होना चाहिए
@omkarbot5011
@omkarbot5011 2 күн бұрын
Bhai bolo ni ab plz aajao patna hm 3 lakh walo k sath dhokha kia h bpsc
@Kfuturestar-vg4qq
@Kfuturestar-vg4qq 2 күн бұрын
अब हुंकार होना चाहिए
@Rameshkumar-kl9ck
@Rameshkumar-kl9ck 2 күн бұрын
खान सर से भी ज्यादा रहमानसु सर महान है ♥️
@subhamkumar-fe9ko
@subhamkumar-fe9ko Күн бұрын
Pranam sir❤❤❤
@Princekr6050
@Princekr6050 Күн бұрын
Ramanshu sir is great 🙏🙏🙏
@Modern_Thinker1
@Modern_Thinker1 2 күн бұрын
अब रमांशु सर राजनीती कर रहे है। PK के पास बैठने में क्या प्रॉब्लम है ? 13 दिन बैठे थे तब कौन पूछ रहा था ? सिर्फ सत्याग्रह का नाम रख लेने से सफलता नहीं मिलेगा। Plan of action क्या है ? PK के पास सबकुछ है, उसको मजबूती प्रदान करें तो शायद कुछ हो स्टूडेंट के फेवर में।
@Trendingnature
@Trendingnature Күн бұрын
Rahmansu uss rat v rajniti kr diya jis rat lathi chali.. agr ye uth jata aur students ka delegation ko baat krne k liye bol deta to kisi k uper lathi nhi chalti ... Yahi baitha rha janbujhkar jis wjh students ko lga waha se nhi htna hai
@chandankumarsharma4013
@chandankumarsharma4013 2 күн бұрын
Ramanshu Sir jinda baad
@ppawankumar8961
@ppawankumar8961 2 күн бұрын
भ्रष्टाचार की सीमा पार BPSC करें बार बार।।
@ABHAYKUMAR-gt2ls
@ABHAYKUMAR-gt2ls 2 күн бұрын
Tiger is back
@sonalipriya-xh3wp
@sonalipriya-xh3wp Күн бұрын
Salut hai sar aapko
@DharmendraKumar-ps8ci
@DharmendraKumar-ps8ci 2 күн бұрын
Ramanshu sir or sabhi sathiyon ko namskar, sir mera ek sujhav h ki satyagraha ke sath sath students bhai apna study v suru kr de taki aap apna gyanarjan v hota rahe
@rajeevsinghpatel4536
@rajeevsinghpatel4536 2 күн бұрын
पुरे बिहार में सर ही एक अकेला इंसान हैं जो निःस्वार्थ छात्रों के साथ। चरण स्पर्श गुरूवर।
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@sonukumar-di5wc
@sonukumar-di5wc Күн бұрын
Brave teacher hai hatss of to you sir
@POOJAKUMARI-mg6du
@POOJAKUMARI-mg6du Күн бұрын
Ab sirf Supreme Court se hi sare ummid hai😢😢😢
@naushadkhan-el5kd
@naushadkhan-el5kd Күн бұрын
अब छात्र/ छात्राओं का साथ अभिभावकों का मिलना चाहिए।
@chaubeyaman999-
@chaubeyaman999- Күн бұрын
प्रशांत किशोर ने re exam student के लिए भूख हड़ताल किया है साथ देने चाहिए गांधी मैदान जाओ भाइयों
@PujaKumari-jk5fo
@PujaKumari-jk5fo 2 күн бұрын
Love you Ramanshu sir
@Heritagesagayoutube
@Heritagesagayoutube Күн бұрын
Ab Upadarab kya hota hai wo dikhao is chor sarkaar ko
@SanjayYadav-vy9xw
@SanjayYadav-vy9xw 2 күн бұрын
Jai Bihar Jai Jansuraj
@AmitRanjan-tt9kn
@AmitRanjan-tt9kn Күн бұрын
Yahi hain sacha andolan..... Baki log politics kr rahe hain
@vikastiwari5146
@vikastiwari5146 Күн бұрын
Support pk, you all should join him he is genuine and honest
@chandrhaskumar3360
@chandrhaskumar3360 Күн бұрын
I support re exam for all.....
@rajeevsinghpatel4536
@rajeevsinghpatel4536 2 күн бұрын
जीयो मेरे गुरूदेव
@nehruprasad3791
@nehruprasad3791 Күн бұрын
Right
@DeepakKumar-vd9fl
@DeepakKumar-vd9fl 2 күн бұрын
Group D vala nahi balki group F vala question tha 😂😂😂 best line
@ravibhushan6152
@ravibhushan6152 Күн бұрын
Nice to see Ramanshu Sir once Again
@AbhayKumar-vb5dh
@AbhayKumar-vb5dh 2 күн бұрын
Jio hamare sher❤❤❤❤😊😊😊🙏🙏🙏🙏🙏
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@ranjnigupta7780
@ranjnigupta7780 2 күн бұрын
13 December se v low tha😢
@GAUTAMKUMAR-kg4yb
@GAUTAMKUMAR-kg4yb 2 күн бұрын
Ramanshu gandhi 😊😊😊😊
@AbhishekKumar-uy5ds
@AbhishekKumar-uy5ds 2 күн бұрын
आज का पेपर का लेवल देख कर शर्म आता है, सारा सीट बिक चुका है 12 th पास करके भी 120 no la सकता है।
@KaranKumar-us4lx
@KaranKumar-us4lx 2 күн бұрын
Tum la rha hai 120??
@AbhishekKumar-uy5ds
@AbhishekKumar-uy5ds 2 күн бұрын
@@KaranKumar-us4lx I qualified 3 times upsc csat so u don't judge me
@AMITKUMAR-bv7qm
@AMITKUMAR-bv7qm 2 күн бұрын
​@@AbhishekKumar-uy5dsupsc cset kya hota hain? Pehli bar suna hu.
@AbhishekKumar-uy5ds
@AbhishekKumar-uy5ds 2 күн бұрын
@AMITKUMAR-bv7qm CSAT babu typing error
@AnshikasinghNishasingh
@AnshikasinghNishasingh 2 күн бұрын
Ramansu sir ko pk se jln horahi h ... Sara sreyy apne uprr lena chaate h ... Gjb haal h ye sb ka .. itae din gandhi ji bn gaye ky mila apko .....
@SANTOSHKUMAR-qn7zo
@SANTOSHKUMAR-qn7zo Күн бұрын
Bilkul pk karn hi national mudda bna h
@Neha-he4io
@Neha-he4io Күн бұрын
Re exam hona chahiye
@mithileshsharma3725
@mithileshsharma3725 2 күн бұрын
Hm sabhi log phr s aa rahe hai sir.....sarkar ar aayog hm students ko srf bewkuf bnane ka kaam kiya hai....😢😢
@Indian13376
@Indian13376 2 күн бұрын
Wah गुरुजी 😅
@pushpendrashivhare680
@pushpendrashivhare680 2 күн бұрын
Ramashu sir 🙏🙏
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@Indian13376
@Indian13376 2 күн бұрын
U r great teacher 😢😢
@The.shuklagii
@The.shuklagii 2 күн бұрын
Sir great aapko dekh kr bahut khushi hui 🙌
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@doorohankumarduhit1553
@doorohankumarduhit1553 2 күн бұрын
Ramanshu Sir is the real hero of this Education Satyagraha...
@ASHOKKUMAR-vp7yr
@ASHOKKUMAR-vp7yr 2 күн бұрын
बिल्कुल सही सर
@ravimishra9320
@ravimishra9320 2 күн бұрын
Sahi sahi bole sir
@akverma111
@akverma111 2 күн бұрын
Thanks so much sir
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@kishorkumar-sx3mk
@kishorkumar-sx3mk Күн бұрын
तीन प्रश्न तो सीधे 13 dec से उठा के डाला हैं। साहित्य सिटी कोझीकोड, gdp मे क्षेत्रीय योगदान, 91th संबिधान संसोधन etc जिस exam मे decimal अंतर से परीक्षार्थी का भविष्य तय होता है उस exam मे 3 या 4 marks फ्री मे बाटना कहा तक उचित हैं।
@Kumar-ym7gb
@Kumar-ym7gb 2 күн бұрын
Happy new year🎉 2025🎉 रामांशु सर Welcome back sir 🙏
@rajansah2914
@rajansah2914 2 күн бұрын
Ramanshu sir ji koti koti naman karta hu
@NIDHIKUMARI-qf3gx
@NIDHIKUMARI-qf3gx 2 күн бұрын
Love you so much sirrr🎉🎉
@prakashkumar-md4vn
@prakashkumar-md4vn Күн бұрын
Great leader remanshu sir
@EthHack_Cop
@EthHack_Cop 2 күн бұрын
Huge Respect Sir
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@GoingwiththeflowSuwi
@GoingwiththeflowSuwi 2 күн бұрын
प्रशांत किशोर के योगदान का धन्यवाद करना चाहिए
@Poetry_khansir
@Poetry_khansir 2 күн бұрын
😅😅😅
@Avinash-Jgh
@Avinash-Jgh Күн бұрын
@@Poetry_khansir आ गया खान का दल्ला
@Trendingnature
@Trendingnature Күн бұрын
Pk ki wjh se hi iss satyagrah ko limelight mila... Warna 15 din koi puch nhi rha tha
@ujalakumari7295
@ujalakumari7295 2 күн бұрын
Bilkul sahi bole h sir
@aviruchauhan2322
@aviruchauhan2322 2 күн бұрын
Thanks Ramansu sir
@Rm-t9o
@Rm-t9o 2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
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