हम तो सोचे अब नहीं जायेंगे गर्दनीबाग ,लेकिन रामांशु सर को देखकर फिर से जाना पड़ेगा,क्योंकि मैं इनको अकेला नहीं छोड़ सकते।
@AMITKUMAR-bv7qm2 күн бұрын
Aayo bhai aur sath me dusro ko bhi le aayo
@SADDAMHUSSAIN-wo8zpКүн бұрын
Bhai mar ke ya ji ke BPSC Re exam karana hi hoga .... please 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@AdarshR-j4f2 күн бұрын
यह आंदोलन अब विकराल रूप लेगा छात्र एकता जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद......🤬🤬😡😡
@omkarbot50112 күн бұрын
Ab aandolan 3 lakh student wale aao yar ab ni to kb bologe
@sunilshukla74762 күн бұрын
दिल जीतने का काम किया है रमांशु सर आपने। वाणी का तप है मौन,,,,,, 😷
@galaxysciencecoachingcente68302 күн бұрын
Sir ab bahut bara andolan ka rup dene ki ab aavashyakta hai
@ritu8543Күн бұрын
Students ekta zindabad
@DR.ADITI.Күн бұрын
बिल्कुल अब उग्र आंदोलन की जरूरत है दोस्तों
@pramilasharma17772 күн бұрын
Ramanshu sir is back 200% energy ke sath🤗🤗❤❤
@SADDAMHUSSAIN-wo8zpКүн бұрын
Re exam for all....
@Bhagatsingh-c1e2 күн бұрын
Thanku sir .आपको पुनः देखकर अच्छा लगा।
@anujsinghjantatakindia2 күн бұрын
सही बोल रहें हैरमांशु सर सर 🚩🚩🥰🥰🙏🙏🙏🙏🙏 एकलौता सर जोहार नहीं माने 🙏🙏🙏🙏
@Bajigar-l7t2 күн бұрын
Kya kiye ye 12 din me khud ka vikas krne ke alawa... Isko kvl neta bnna tha bn gya
@supriyaraj19312 күн бұрын
सच्चे हृदय से सिर्फ रहमांशु सर अभ्यर्थियों का साथ दिए हैं...❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@SADDAMHUSSAIN-wo8zpКүн бұрын
Re exam for all
@MdAlamgir-v2f2 күн бұрын
I love you ramanshu sir
@ducklings82442 күн бұрын
Luv u ramashu sir full support 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
@pushpasingh2293Күн бұрын
दोस्तों अब तो आना ही पड़ेगा। सरकार को अपनी ताकत दिखाना पड़ेगा। सारे लोग जमा हो जाओ और इतिहास बना दो। कल से आ रही हूं मैं।
@ang23712 күн бұрын
अब रमानंशू सर के नेतृत्व में परिवर्तन होगा बिहार में,,छात्र उलगुलान
@AbhayKumar-vb5dh2 күн бұрын
Love you Ramanshu sir ❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@Praveenkumar-cc8lb2 күн бұрын
शेर जग गया रामांशु सर ❤ सर खान गैंग से bpsc को आप ही बचा सकते हैं आप लॉ के भी जानकार हैं।
@shiwanandtiwari28552 күн бұрын
Bpsc teacher मे 70% बाहर के लोगो को नौकरी दिया नितीश ने Aur वोट बिहार के लोग से मांग रहा है इसलिए हम बिहारी केवल लाठी खाने और नितीश को वोट देने के लिए नही है सबक भी सिखाने के लिए बने हैं
@lalanram44612 күн бұрын
Bahut sundar hai sir❤
@neerajkumar-lv2du2 күн бұрын
Salute hai sir❤
@rrk4440Күн бұрын
जो भी छात्रों को हित चाहते हैं हम उनके साथ हैं रमांशु सर और pk सर...हमे दोनों का साथ चाहिए PK हमारे लिए आमरण अनशन पर बैठे हैं, PK सर के कारण पूरे देश की नजर bpsc आंदोलन पर पड़ी है। मीडिया ने दिखाना शुरू किया है,इसीलिए हम उनके आभारी हैं। PK के बिना कोई हमें दिखा ही नहीं रहा था,हल राजनीति से ही निकलेगा या अदालत से...अरे चुप रह कर शांतिपूर्ण आंदोलन से कुछ नहीं होगा। याद रखो.... बच्चा जब रोता है तभी उसकी माँ उसे दूध पिलाती है...बहरों को जगाने के लिए चिल्लाना पड़ता है
@himanshisinghctet62332 күн бұрын
Luv u sir Great
@anilkumar-mg7ciКүн бұрын
रामांशू सर आप के जज्बे को सलाम है...मगर आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जो भी व्यक्ति...चाहे वो राजनीतिक दल का हो या फिर कोचिंग शिक्षक...अगर छात्रों का साथ देने आता है तो सबका स्वागत होना चाहिए। छींटाकशी से बचिए और सबके सहयोग को स्वीकार कीजिए।🙏🙏
@abhijeetkumar49472 күн бұрын
आज का एग्जाम देनेवालों का रोल नो नोट कर के रखा जाना चाहिए और फाइनल रिलल्ट से उसका मिलान किया जाना चाहिए और उसके अनुपात को कुल सफल लोगों में से जारी किया जाना चाहिए।
@AMARJEETKUMAR-uz9dy2 күн бұрын
Love you sir ❤❤❤❤
@DaivikAannadКүн бұрын
Extremely positive sir real Teacher love u so Much Ramashu sir .. Aap dil se teacher hai mere sir ..
@bipinkumar8212 күн бұрын
Sir herooo h❤
@Student_772 күн бұрын
Ramanshu sir deserve 💕💕❤❤❤❤❤❤
@gyanglacierКүн бұрын
Thank you sir aapko wapas dekh kar khushi hui hai ❤
@PunamKumarihisua2 күн бұрын
राहमंशु सर शेर है अकेला सभी पर भारी है गुरु जी को हमारा सलाम है
@SANTOSHKUMAR-qn7zoКүн бұрын
Pk karn hi national mudda bna pk ko sb dhoka de rha h
@vivekr.rajput2 күн бұрын
BPSC के मूर्खो,up-pcs का लेवल देख लो😢😢😢😢😢
@imaadsharf30912 күн бұрын
Sir apko dekh kr hi himmat milti h...❤
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@getknow78872 күн бұрын
Love you sir
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@dawn60612 күн бұрын
Bhai PK bhi is aandolan ko Dhar Diya hai….PK k wajah se hi National level pr log Jane hai….wrna koi ni puch ra tha…Ramanshu Sir ko….this movement needs political support
@Modernman222 күн бұрын
You are right. Itne dino se isko koi puch nhi rha tha
@Har8932 күн бұрын
Bilkul sahi...inko kisi ne bheja hai..gandhi maidan sw bacho ko khich ne k liye...ye bahut bari baat hai..Kal tak police ne kaha dharna nai jana hai aaj achanak agye
@AMITKUMAR-bv7qm2 күн бұрын
Lekin jab lathi khane ka time tha tab ramanshu sir the aur pk bhag gya tha sabko chhod kar...aur uske anshan se bhi kuch nhi hoga....10 days me agar uski tabiyat kharab hogi to usko hospital me admit kar diya jayega lekin students ko kuch milega nhi....
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@dawn60612 күн бұрын
@ sahi bat bhai….lekin Gardanibag se kya hoga…But yahi ki sabke aane se Court-tak ja skte hai….Bade logo ka sath mail skta hai….Election bhi hai to ab kuch Politics student ko bhi krna padega apne hq ke liye…History me yad kro Azadi ke liye Gandhi, Bose, Bhagat, Tilak, JP sabka tareeka alag tha lekin GOAL ek tha…..Abhi bhi time hai…..
@Student_warrior2 күн бұрын
Salute sir 🫡🫡🫡
@DIGAMBARKUMAR-mb8nt2 күн бұрын
जीत और हार तो अलग बात है लेकिन वहां इतने जुल्म के बाद भी सभी भाई बहन और गुरुजन डटे हुए हैं। वो सबसे बड़ी बात है।
@rahulranjan1812Күн бұрын
Thanks sir Hm sab apke sath hai
@brajmohankumar62262 күн бұрын
Tiger is back.....
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@knowledgewithashu4122 күн бұрын
अब क्या ही होगा?😢 अब तो सिर्फ कोर्ट से उम्मीद बची है।।🙏
@AMITKUMAR-bv7qm2 күн бұрын
Bahut kuch hoga, tmhare ghar me baithne se to pakka nhi hoga. Uske liye Ghar se bahar aana hoga.
@N-dpcКүн бұрын
I salute 🙏🙏 sir
@RehantKumar-il9zd2 күн бұрын
I stand with pk ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@sumitsahu54662 күн бұрын
Love u sir
@chitranshsachindeoКүн бұрын
कह नहीं सकते कितना गर्व हो रहा है
@ankuljha87542 күн бұрын
Ur great Ramansu sir.Ur like Gandhi for Students
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@RAHULKUMAR-kv8gk2 күн бұрын
बहुत अच्छा सर
@shantanukumar4092 күн бұрын
अब बैठने का टाइम नहीं है सर अब अपने तरकश से दूसरा तीर निकालिए नहीं तो BPSC 25 जनवरी तक रिजल्ट भी निकाल देगा
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@kamleshkumar1070Күн бұрын
सर आप great ho 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@aryaprakash6578Күн бұрын
रामांशु सर❤
@PriyBhan-mc1oo2 күн бұрын
Sir अब आपको भरोसा है ❤❤
@ashukumar-ld4cfКүн бұрын
Ramanshu Sir is totally innocent and an honest Satyagrahi
@sushmitakumari24Күн бұрын
Thanku sir🙏🙏🙏🙏
@namankumar1899Күн бұрын
Love you ramanshu sir❤❤❤❤
@smpsclasses9643Күн бұрын
जीत हार तो होती रहती है पर sir आपने स्टूडेंट का दिल जीत लिए sir love u sir
@gyanglacierКүн бұрын
Ramanshu sir ❤❤
@ritu8543Күн бұрын
Ramanshu sir Rohit sir Deepak sir Sunami sir ko dil se pranam
@LivelyDream-j5jКүн бұрын
Full support sir
@Kfuturestar-vg4qq2 күн бұрын
आंदोलन अब भयावह होना चाहिए
@omkarbot50112 күн бұрын
Bhai bolo ni ab plz aajao patna hm 3 lakh walo k sath dhokha kia h bpsc
@Kfuturestar-vg4qq2 күн бұрын
अब हुंकार होना चाहिए
@Rameshkumar-kl9ck2 күн бұрын
खान सर से भी ज्यादा रहमानसु सर महान है ♥️
@subhamkumar-fe9koКүн бұрын
Pranam sir❤❤❤
@Princekr6050Күн бұрын
Ramanshu sir is great 🙏🙏🙏
@Modern_Thinker12 күн бұрын
अब रमांशु सर राजनीती कर रहे है। PK के पास बैठने में क्या प्रॉब्लम है ? 13 दिन बैठे थे तब कौन पूछ रहा था ? सिर्फ सत्याग्रह का नाम रख लेने से सफलता नहीं मिलेगा। Plan of action क्या है ? PK के पास सबकुछ है, उसको मजबूती प्रदान करें तो शायद कुछ हो स्टूडेंट के फेवर में।
@TrendingnatureКүн бұрын
Rahmansu uss rat v rajniti kr diya jis rat lathi chali.. agr ye uth jata aur students ka delegation ko baat krne k liye bol deta to kisi k uper lathi nhi chalti ... Yahi baitha rha janbujhkar jis wjh students ko lga waha se nhi htna hai
@chandankumarsharma40132 күн бұрын
Ramanshu Sir jinda baad
@ppawankumar89612 күн бұрын
भ्रष्टाचार की सीमा पार BPSC करें बार बार।।
@ABHAYKUMAR-gt2ls2 күн бұрын
Tiger is back
@sonalipriya-xh3wpКүн бұрын
Salut hai sar aapko
@DharmendraKumar-ps8ci2 күн бұрын
Ramanshu sir or sabhi sathiyon ko namskar, sir mera ek sujhav h ki satyagraha ke sath sath students bhai apna study v suru kr de taki aap apna gyanarjan v hota rahe
@rajeevsinghpatel45362 күн бұрын
पुरे बिहार में सर ही एक अकेला इंसान हैं जो निःस्वार्थ छात्रों के साथ। चरण स्पर्श गुरूवर।
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@sonukumar-di5wcКүн бұрын
Brave teacher hai hatss of to you sir
@POOJAKUMARI-mg6duКүн бұрын
Ab sirf Supreme Court se hi sare ummid hai😢😢😢
@naushadkhan-el5kdКүн бұрын
अब छात्र/ छात्राओं का साथ अभिभावकों का मिलना चाहिए।
@chaubeyaman999-Күн бұрын
प्रशांत किशोर ने re exam student के लिए भूख हड़ताल किया है साथ देने चाहिए गांधी मैदान जाओ भाइयों
@PujaKumari-jk5fo2 күн бұрын
Love you Ramanshu sir
@HeritagesagayoutubeКүн бұрын
Ab Upadarab kya hota hai wo dikhao is chor sarkaar ko
@SanjayYadav-vy9xw2 күн бұрын
Jai Bihar Jai Jansuraj
@AmitRanjan-tt9knКүн бұрын
Yahi hain sacha andolan..... Baki log politics kr rahe hain
@vikastiwari5146Күн бұрын
Support pk, you all should join him he is genuine and honest
@chandrhaskumar3360Күн бұрын
I support re exam for all.....
@rajeevsinghpatel45362 күн бұрын
जीयो मेरे गुरूदेव
@nehruprasad3791Күн бұрын
Right
@DeepakKumar-vd9fl2 күн бұрын
Group D vala nahi balki group F vala question tha 😂😂😂 best line
@ravibhushan6152Күн бұрын
Nice to see Ramanshu Sir once Again
@AbhayKumar-vb5dh2 күн бұрын
Jio hamare sher❤❤❤❤😊😊😊🙏🙏🙏🙏🙏
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@ranjnigupta77802 күн бұрын
13 December se v low tha😢
@GAUTAMKUMAR-kg4yb2 күн бұрын
Ramanshu gandhi 😊😊😊😊
@AbhishekKumar-uy5ds2 күн бұрын
आज का पेपर का लेवल देख कर शर्म आता है, सारा सीट बिक चुका है 12 th पास करके भी 120 no la सकता है।
@KaranKumar-us4lx2 күн бұрын
Tum la rha hai 120??
@AbhishekKumar-uy5ds2 күн бұрын
@@KaranKumar-us4lx I qualified 3 times upsc csat so u don't judge me
@AMITKUMAR-bv7qm2 күн бұрын
@@AbhishekKumar-uy5dsupsc cset kya hota hain? Pehli bar suna hu.
@AbhishekKumar-uy5ds2 күн бұрын
@AMITKUMAR-bv7qm CSAT babu typing error
@AnshikasinghNishasingh2 күн бұрын
Ramansu sir ko pk se jln horahi h ... Sara sreyy apne uprr lena chaate h ... Gjb haal h ye sb ka .. itae din gandhi ji bn gaye ky mila apko .....
@SANTOSHKUMAR-qn7zoКүн бұрын
Bilkul pk karn hi national mudda bna h
@Neha-he4ioКүн бұрын
Re exam hona chahiye
@mithileshsharma37252 күн бұрын
Hm sabhi log phr s aa rahe hai sir.....sarkar ar aayog hm students ko srf bewkuf bnane ka kaam kiya hai....😢😢
@Indian133762 күн бұрын
Wah गुरुजी 😅
@pushpendrashivhare6802 күн бұрын
Ramashu sir 🙏🙏
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@Indian133762 күн бұрын
U r great teacher 😢😢
@The.shuklagii2 күн бұрын
Sir great aapko dekh kr bahut khushi hui 🙌
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@doorohankumarduhit15532 күн бұрын
Ramanshu Sir is the real hero of this Education Satyagraha...
@ASHOKKUMAR-vp7yr2 күн бұрын
बिल्कुल सही सर
@ravimishra93202 күн бұрын
Sahi sahi bole sir
@akverma1112 күн бұрын
Thanks so much sir
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@kishorkumar-sx3mkКүн бұрын
तीन प्रश्न तो सीधे 13 dec से उठा के डाला हैं। साहित्य सिटी कोझीकोड, gdp मे क्षेत्रीय योगदान, 91th संबिधान संसोधन etc जिस exam मे decimal अंतर से परीक्षार्थी का भविष्य तय होता है उस exam मे 3 या 4 marks फ्री मे बाटना कहा तक उचित हैं।
@Kumar-ym7gb2 күн бұрын
Happy new year🎉 2025🎉 रामांशु सर Welcome back sir 🙏
@rajansah29142 күн бұрын
Ramanshu sir ji koti koti naman karta hu
@NIDHIKUMARI-qf3gx2 күн бұрын
Love you so much sirrr🎉🎉
@prakashkumar-md4vnКүн бұрын
Great leader remanshu sir
@EthHack_Cop2 күн бұрын
Huge Respect Sir
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@GoingwiththeflowSuwi2 күн бұрын
प्रशांत किशोर के योगदान का धन्यवाद करना चाहिए
@Poetry_khansir2 күн бұрын
😅😅😅
@Avinash-JghКүн бұрын
@@Poetry_khansir आ गया खान का दल्ला
@TrendingnatureКүн бұрын
Pk ki wjh se hi iss satyagrah ko limelight mila... Warna 15 din koi puch nhi rha tha
@ujalakumari72952 күн бұрын
Bilkul sahi bole h sir
@aviruchauhan23222 күн бұрын
Thanks Ramansu sir
@Rm-t9o2 күн бұрын
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।