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"दीये से मिटेगा न मन का अंधेरा
धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ!
ऐसा महा उपक्रम करना है, जैसे कोई जमीन को उठाए, गगन को झुकाए! यह कोई छोटे-मोटे दीयों से मिटने वाला अंधेरा नहीं है। यह बाहर की दीवालियां काम न आएंगी। लेकिन आदमी बड़ा बेईमान है। भीतर की दीवालियों से बचने के लिए बाहर की दीवालियां मनाता है।" Osho
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