पानी के अंदर गायब रहने वाला रहस्यमयी बाथू की लड़ी मंदिर। 4K । दर्शन 🙏

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Tilak

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Күн бұрын

भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन.
हिमाचल में कई ऐसे खूबसूरत और रहस्यमयी मंदिर है, जो प्राचीनकाल से यहां स्थापित है। इसी क्रम में आज हम आपको हिमाचल के एक ऐसे धाम के मंदिरों की यात्रा और दर्शन करवाने जा रहे हैं, जिसका निर्माण महाभारतकाल में पांडवों द्वारा सम्पन्न हुआ था। इस मंदिर का नाम है बाथू की लड़ी… इस मंदिर की खास बात यह है कि, ये मंदिर 8 महीने पानी के अंदर और 4 महीने पानी के बाहर रहकर भक्तों को दर्शन देता है।
मंदिर के बारे में:
भक्तों! 'बाथू की लड़ी' मंदिर, हिमाचल प्रदेश जिला कांगड़ा के ज्वाली विधानसभा के अंतर्गत आता है। बाथू की लड़ी मंदिर कोई एक नहीं बल्कि कई मंदिरों का समूह है। ये सभी मंदिर निर्माण और शिल्पकला की दृष्टि से अद्भुत और बेजोड़ हैं... आठ महीने जलमग्न रहने के बावजूद इन मंदिरों के दरो दीवार को अबतक कोई क्षति नहीं पहुंची है...और मंदिर की इमारत आज भी ज्यों की त्यों ही बनी हुई है। ये सभी गर्वोन्मत्त होकर न केवल अपनी ऐतिहासिक विशालता की गाथा सुना रहे बल्कि उस जमाने की समृद्ध शिल्पकारी को भी प्रमाणित और महिमामंडित कर रहे हैं।
भक्तों! जब सभी मंदिर जलमग्न हो जाते हैं तब केवल मंदिर का तो उस दौरान इस मंदिर का उपरी हिस्सा (खंभा) ही दिखाई देता है।
मंदिर का नाम बाथू कैसे पड़ा?
भक्तों! बाथू की लड़ी नाम के पीछे आम लोगों की धारणाएँ हैं एक धारणा के अनुसार 'बाथू' गांव का नाम है 'लड़ी' का मतलब सीढ़ियों से है। जबकि दूसरी धारणा के मुताबिक इस मंदिर में लगे पत्थरों को बाथू का पत्थर कहा जाता है। इसी मंदिर की तरह कुछ अन्य मंदिरों की शृंखला भी है, जो दूर से देखने पर एक पिरोयी हुई माला की भांति प्रतीत होती है इसीलिए इन खूबसूरत मंदिरों को बाथू की लड़ी (माला) कहा जाता है।
मंदिरों की संख्या और मूर्तियाँ:
भक्तों! बाथू की लड़ी नाम से मशहूर इस मंदिर समूह में कुल 9 मंदिर हैं, जिनमें 8 छोटे मंदिर है, जोकि एक पंक्ति में निर्मित है, इन मन्दिरों में शेषनाग, विष्णु भगवान की मूर्तियाँ स्थापित हैं। बीच में एक मुख्य मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के अंदर एक भव्य-दिव्य पवित्र शिवलिंग है ...साथ ही देवी काली और और भगवान गणेश की भी प्रतिमाएँ बनी हुई हैं।
पौराणिक कथा:
भक्तों! पौराणिक कथा के अनुसार पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस स्थान पर आकर भगवान शिव की तपस्या की थी और शिव से वरदान पाया था। भगवान शिव के दिए गये वरदान के फलस्वरूप उन्हें एक रात में स्वर्ग के लिए सीढ़ियों का निर्माण करना था। स्वर्ग के लिए सीढ़ियाँ बनाना कोई मुमकिन काम नहीं था, इसलिए पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण से गुहार लगाई ... कहते हैं तब भगवान कृष्ण ने उस रात को छ महीने की कर दी, ताकि पांडव एक ही रात में मंदिरों और सीढ़ियों का निर्माण कर सकें।
भक्तों! जहां सीढ़ियों का निर्माण कार्य चल रहा था वहाँ से कुछ दूरी पर एक तेलिन रहा करती थी, जो कोल्हू से तेल निकाला करती थी। वो रात को बार बार उठकर कोल्हू से तेल निकाल रही थी। छः महीने की रात उसको जब बहुत लम्बी लगने लगी तो उसने शोर मचाना शुरू कर दिया कि आखिर रात खत्म क्यूं नहीं हो रही? उस तेलिन का शोर सुन पांडवों ने सीढ़ियों का निर्माण रोक दिया। उस समय स्वर्ग तक पहुंचने में मात्र अढ़ाई पौड़ियों का निर्माण शेष रह गया था। तेलिन का शोर सुन कर पांडव खिन्न हो गये और यह सारी सीढ़ियां भरभरा कर गिर गई। अब इसमें मात्र 65 सीढ़ियां ही शेष बची हैं जो इस पौराणिक कथा को सत्यापित करती हैं। आज भी इस मंदिर में स्वर्ग की ओर जाने वाली सीढ़ियाँ नजर आती है, जिसे लोग आस्था के साथ पूजते हैं.
शिवलिंग को प्रणाम करती हैं सूर्य की किरणें
भक्तों! बाथू की लड़ी में शिवमंदिर का निर्माण कुछ इस तरह किया गया है, कि अस्त होने से पहले सूर्य की किरणें मंदिर में विराजमान महादेव के चरण वंदन करती हैं। इस रहस्य का पता अब तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा सके हैं।
पौंगबांध और बाथू मंदिर:
भक्तों! सन1970 में पोंग बाँध के महाराणा प्रताप सागर जलाशय बनने के बाद श्रद्धालुओं की श्रद्धा पर कुठाराघात हुआ क्योंकि बांध बनने के बाद से बाथू मंदिर ज़्यादातर जलमग्न ही रहते हैं। यद्यपि जलस्तर कम होने पर यात्री और पर्यटक बहुतायत में यहाँ पहुँचते है। जिन दिनों में पानी मंदिर जलमग्न रहते हैं तो कुछ यात्री धमेटा और नगरोटा-सूरियां से किश्तियों और बोटों की मदद से मंदिर तक जाते हैं। इन मंदिरों के पास एक बहुत ही बड़ा खंभा है। जब पौंगबांध पूरी तरह भर जाता है और सभी मंदिर पानी में डूब जाते हैं, तब सिर्फ इस खंभे का ऊपरी हिस्सा ही नजर आता है। जो बहुत लुभावना प्रतीत होता है
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन।
🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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Пікірлер: 9
@ShanuDevi-t8n
@ShanuDevi-t8n 3 күн бұрын
Amazing 😮mahadev ,
@alkakatal4022
@alkakatal4022 4 ай бұрын
Har har Mahadev 🙏🙏
@jitendraharharmahadev3057
@jitendraharharmahadev3057 2 жыл бұрын
Bahut hi great🙏🙏💕
@shivkatrishul-funnyvideo6250
@shivkatrishul-funnyvideo6250 2 жыл бұрын
Har har Mahadev
@jaiaroraiitjodhpur
@jaiaroraiitjodhpur 2 жыл бұрын
Bahut khoobsurat 🔥🔥
@sanjaychoudhary5844
@sanjaychoudhary5844 2 жыл бұрын
Ye mandir mere gr ke pass hi h
@masterart9
@masterart9 2 ай бұрын
Mere bhi
@chhetristitching491
@chhetristitching491 3 ай бұрын
Yeh kab niklata hai
@dollythapa2
@dollythapa2 2 ай бұрын
Congress walo ko humare mandir dubane mai maza ata hai. Sonia Gandhi to Ram Setu bhi tudwana chahti thi
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