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हेलो दोस्तों जय श्री कृष्णा🙏🙏
मैं रुचि
दोस्तों आज की कविता का विषय है पराई है..
दोस्तों जन्म से लेकर मृत्यु तक लड़की यह शब्द जाने कितनी बार सुनती है कि वह परायी है.. पराया....पराया सुनते सुनते उसका सारा जीवन समाप्त हो जाता है और वह पता नहीं कब अपनी बन पाती है या नहीं बन पाती है कुछ समझ में ही नहीं आता पर यह वाक्य उसने अपने जीवन में न जाने कितनी बार सुने होंगे बस इसी ख्याल में इस कविता को रचित किया है और सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या लड़कियां सचमुच पराई ही होकर रह जाती हैं...
क्या उनका अपना कुछ भी नहीं हो पाता या वह किसी की नहीं हो पाती है अगर हो जाती है तो फिर यह वाक्य वह अपने जीवन में क्यों सुनती है बार-बार....।
बस इसी ख्याल में इस कविता को रचित किया है अगर ख्याल पसंद आए तो मेरी कविता को लाइक और शेयर करें और मेरे चैनल को अगर अभी तक आपने सब्सक्राइब नहीं किया है तो चैनल को सब्सक्राइब करें जल्दी ही मिलती हूं फिर एक और कविता के साथ तब तक अपना ध्यान रखें जय श्री कृष्णा🙏🙏