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रश्मिरथी के इस सर्ग में भगवान परशुराम और कर्ण के बीच के संवाद को प्रस्तुत किया गया है। भगवान परशुराम का यह संकल्प था कि वह सिर्फ ब्राह्मणों को शिक्षा देते थे। परंतु कर्ण की ज्ञान को लेकर जो पिपासा थी वह इतनी अधिक थी कि उसने भगवान परशुराम से असत्य कहकर, कि वह ब्राह्मण कुमार है, शिक्षा प्राप्त की और जब यह सत्य परशुराम को पता चला तो वे बहुत क्रोधित हुए। रश्मिरथी के इस सर्ग में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर उन दोनों के बीच के संवाद को हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित यह खंडकाव्य कर्ण के जीवन पर आधारित है। इसके समस्त सर्गों में राष्ट्रकवि, कर्ण की जीवन की विभिन्न घटनाओं को सम्मिलित करते हैं। राष्ट्रकवि ने बहुत ही मार्मिक ढंग से सभी दृश्यों को शब्दों के माध्यम से हमारे समक्ष उकेर दिया है।
रश्मिरथी - राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
स्वर - महिम तिवारी
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