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ब्रेकिंग न्यूज:
ग्राम राजपुर (उकवा) में प्रारम्भ हुआ पांच दिवसीय कोयापुनेम गोंडी गाथा कार्यक्रम।
परसवाड़ा। गोंडवाना समय
बालाघाट जिले के ब्लाक परसवाडा अंतर्गत ग्राम राजपुर (उकवा) में गोंडवाना एकता समिति बडा़देव के
व्दारा आदिवासी कोयतुरियन गोंड समुदाय में एकरुपता लाने एवं नेग सेंग, मिजान, पूजा पद्धति, गोंडवाना की उत्पत्ति, गोंडवाना के गढ़ क़िले ताल तलैया, और गोंडवाना महापुरुषों के इतिहास धरोहर, को समाज के हर एक व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए क्षेत्र में दूसरी बार कोयापुनेम गोंडी गाथा का आयोजन किया गया है। इसके पहले परसवाडा क्षेत्र के ग्राम भीकेवाडा़ में व ग्राम कटंगा में वर्ष 2022 व 2023 में कोयापुनेम गोंडी गाथा कार्यक्रम को सम्पन्न करवाया गया था।
बता दें कि यह पांच दिवसीय कोयापुनेम गोंडी गाथा कार्यक्रम का शुभारंभ दिनांक 21/02/2024 दिन बुधवार से ग्राम राजपुर (उकवा) में हो चुका है जो कि 25 फरवरी 2024 को समाप्त हो जाएगा। कोयापुनेम गोंडी गाथा के प्रथम दिन 21 फरवरी दिन बुधवार को इस कार्यक्रम में आदिवासी गोंड समुदाय के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और कोयापुनेम गोंडी गाथा का आंनद ले रहे है। अखिल गोंडवाना कोयापुनेम भुमका संघ के प्रवचनकर्ता पुनेमाचार्य तिरू - दीवानशाह धुर्वे ग्राम सालीवाडा़ विकासखण्ड छपारा मध्य गोंडवाना, जिला सिवनी म.प्र के द्वारा, कोयापुनेम गोंडियन संदेश, गोंडी धर्म, भाषा संस्कृति रीति रिवाज आदि तमाम गोंडवाना से जुड़ी इतिहास की जानकारी को प्रतिदिन दोपहर 1 बजें से शाम 5 बजे तक सुनाया जा रहा है।
#आदिवासी गोंड समुदाय के लोगों ने 21 फरवरी से 25 फरवरी 2024 तक, पांच दिवसीय कोयापुनेम गोंडी गाथा का आयोजन रखा है-----
पुनेमाचार्य तिरू - दीवानशाह धुर्वे (गुरुजी) ने चर्चा के दौरान बताया कि परसवाड़ा क्षेत्र में हमारा आना तीसरा बार हुआ है। हमारे कोयतुरियन गोंड समुदाय के लोगों ने पांच दिवसीय कोयापुनेम गोंडी गाथा का आयोजन रखा है चूंकि इस कार्यक्रम में हमारे समाज के लोगों को कोयापुनेम और गोंडवाना इतिहास की समस्त जानकारी को अवगत कराने के लिए खासतौर से हमें बुलाया गया है। पुनेमाचार्य तिरू दीवानशाह धुर्वे ने कहा कि कार्यक्रम के प्रथम दिन 21 फरवरी को हमारा नगर भ्रमण व कलश यात्रा हुई। सृष्टि जीव जगत की उत्पत्ति के बारे में हमने अपने समुदाय को बताया।
कोयापुनेम को सुनकर अपने जीवन नई पुरखा सोच को उतारें। ताकि आने वाली भावी पीढ़ी तक कोयापुनेम जीवत रहें।*
दूसरे दिन गोंडी धर्म गुरु पहांदी पारी कुंपार लिंगों की गाथा, तीसरे दिवस कलि कंकाली दाई की चरित्र गाथा, चौथे दिवस अपने सगा देवी देवताओं के बटवारा, और अंतिम दिन को हमारे समस्त गोत्र वंशी की वंशावली व हमारे गोंडवाना के समस्त देवी देवताओं के नाम अपने मुखारविंद से अपने आदिवासी गोंड समुदाय को बताएंगे। पुनेमाचार्य तिरू दीवानशाह धुर्वे ने मीडिया के दौरान गोंडवाना समय न्यूज़ से वार्तालाप संवाद करते हुए कहा कि परसवाड़ा क्षेत्र के समस्त आदिवासी गोंड सगा जनों से हम यह विंनती है कि इस पांच दिवसीय कोयापुनेम गोंडी गाथा में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर अपने इतिहास, धरोहर, मालिकाना हक, नेग सेंग, मिजान, किला महल, ताल तलैया, व गोंडवाना पुरखों के संघर्ष कुर्बानी, बलिदान, को जाने। और कोयापुनेम को सुनकर अपने जीवन नई पुरखा सोच को उतारें। ताकि आने वाली भावी पीढ़ी तक कोयापुनेम जीवत रहें। हम सभी आदिवासी गोंड समुदाय के सगाजनों से अनुरोध करते हैं।
कार्यक्रम के प्रथम दिन ये रहे मौजूद -
धारासिंह मर्सकोले जनपद सदस्य, डी.एस. उइके, अवतार उइके, सुनिल उइके संरपच संघ प्रदेश उपाध्यक्ष, शंभू तेकाम, प्रीति मरकाम, अर्जुन मरकाम, पत्रकार सुनेश शाह उइके आदि अनेक लोगों की उपस्थिति रही।
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