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विष्णु जी के 6ठे अवतार का नाम परशुराम है |
परशुराम जी का जन्म का नाम जामदग्न्य था, क्यूंकि वे ऋषि जमदग्नि के पुत्र थे | उन्हें राम के नाम से भी जाना जाता था | बाल्यकाल से ही वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे और कैलाश पर्वत पर पहुँच कर उन्होंने भगवान शिव जी को प्रसन्न कर दिया था | शिव जी नें उन्हें अनेक अस्त्र प्रदान किये जिनमें से दिव्य परशु भी एक था |
इस विडियो में हमनें कोशिश की है, आपको परशुराम जी के ऐसे विचित्र अस्त्रों के बारे में बताने की जो शायद अब तक पुराणों में ही बंद थे | हमनें काफी रिसर्च के बाद सही तथ्य खोजने की कोशिश की है | पर अनेक जगह अलग आग तथ्य उपलब्ध होने के कारण त्रुटियाँ हो सकती है | कृपया अपने स्वतंत्र विवेक का इस्तेमाल करें |
परशुराम जी की आरंभिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र और ऋचीक के आश्रम में हुई थी | महर्षि ऋचीक से उन्हें सारंग नामक दिव्य वैष्णव धनुष की प्राप्ति हुई थी | सारंग धनुष विष्णु जी का धनुष है | ऐसा समझा जाता है की इस धनुष का निर्माण अनेक अस्त्र-शस्त्रों के निर्माता विश्वकर्मा जी नें किया था | यह एक अत्यंत सुन्दर धनुष था |
इन अस्त्रों का उल्लेख परशुराम और सहस्त्रबाहु जिसका दूसरा नाम कार्तवीर्य अर्जुन था, के बीच हुए भयंकर युद्ध में मिलता है |
इस युद्ध की पृष्ठभूमि : एक बार सहस्त्रबाहु जिसे एक वरदान स्वरुप अनेक हाथ प्राप्त थे, उसने परशुराम के पिता जमदग्नि के आश्रम से कामधेनु गाय का हरण कर लिया | जब परशुराम जी को इस बात का पता चला तब वें सहस्त्रबाहु से उसे वापस लेने चल पड़े |
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