गीता शास्त्र में व्रत करना व्यर्थ कहा है। प्रमाण गीता अध्याय 6 श्लोक 16 न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः, न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।16।।
@aadityaanand13589 ай бұрын
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरित भक्ति करना व्यर्थ है।
@rekhaverma77159 ай бұрын
🕉️ गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में लिखा है। ऊँ, तत्, सत्, इति, निर्देशः, ब्रह्मणः, त्रिविधः, स्मृतः सचिदानन्द घन ब्रह्म की भक्ति का मन्त्र ‘‘ऊँ तत् सत्‘‘ है। “ऊँ‘‘ मन्त्र ब्रह्म का है। “तत्” यह सांकेतिक है जो अक्षर पुरूष का है। ‘‘सत्’’ मंत्र भी सांकेतिक मन्त्र है जो परम अक्षर ब्रह्म का है। इन तीनों मन्त्रों के जाप से वह परम गति प्राप्त होगी जो गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कही है कि जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आते।
@RamKripal-t6e9 ай бұрын
जबहि सतनाम हृदय धरो,भयो पाप का नाम। जैसे चिनगारी अग्नि कि,परि पुरानी घास।।
@omprakashvyas94549 ай бұрын
सत्य भक्ति से पाप नाश होते है ।।
@ratnakc65179 ай бұрын
मानव समाजमा धार्मिक ग्रन्थहरूको तत्त्वज्ञान आजसम्म ओझेलमा परेको छ, तर सन्त रामपालजी महाराजले सबै शास्त्रहरूको सार र त्यहाँ उल्लेखित तत्त्वज्ञान स-प्रमाण प्रदान गर्नुभएको छ।
@rambabusuryavanshi36859 ай бұрын
सतभक्ति करने वालों के परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
@jagatrampatel69219 ай бұрын
ज्ञानी समाज को चाहिए अपने जीवन से खिलवाड़ ना करके सच्चाई स्वीकार करें और अपना मौछ काराऐ
@dopecat20699 ай бұрын
गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में स्पष्ट किया है कि जो साधक शास्त्राविधि त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है यानि जो भक्ति की साधना शास्त्रों में वर्णित नहीं है, उसे करता है तो उसे न तो सुख प्राप्त होता है, न उसे भक्ति शक्ति यानि सिद्धि प्राप्त होती है तथा न उसकी गति यानि मुक्ति होती है।
@KhushiNishad-ji3rv9 ай бұрын
सतयुग से लेकर अब तक प्रत्येक मानव भगवान को प्राप्त करने, जन्म-मृत्यु, वृद्धावस्था के कष्ट से छुटकारा पाने और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील है।
@KabirIsGodTrueGuru9 ай бұрын
यजुर्वेद अध्याय 8 का मंत्र 13 में स्पष्ट है कि पूर्ण परमेश्वर भक्ति करने वाले भक्त के सर्व पाप को भी विनाश कर देता है।
@KhushbuSahu-bg1jm9 ай бұрын
भक्ति करने वाले भक्त के शर्व पाप को भी विनाश कर देता hai
@chhayasahu81419 ай бұрын
यजुर्वेद अध्याय 8 का मंत्र 13 में विश्वास है कि पूर्ण परमेश्वर। भक्ति करने वाले सर्व पाप को निवास कर देता है अवश्य देखिए साधना चैनल 7:30 से 8:30 तक
@gyanofgranthas9 ай бұрын
जबही सतनाम हृदय धरो, भयो पाप को नाश। जैसे चिंगारी अग्नि की पड़ी पुराने घास।।
@yashbhati87559 ай бұрын
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है परमेश्वर हमारे पापो का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते है इसके अलावा भी अनगिनत प्रमाण सदग्रंथो मे मौजूद है जिनका उल्लेख यहाँ सम्भव नही इसके लिये
@ramsumirangupta46809 ай бұрын
जवही सतनाम हृदय धरो भयो पाप को नास मानो चिंगारी अग्नि की परी पुरानी घास!!
@beautyyadav19869 ай бұрын
गीता शास्त्र में पित्तर व भूत पूजा, देवताओं की पूजा निषेध कही है। प्रमाण : गीता अध्याय 9 श्लोक 25 यान्ति, देवव्रताः, देवान्, पितृन्यान्ति, पितृव्रताः। भूतानि, यन्ति, भूतेज्याः, यन्ति, मद्याजिनः, अपि, माम्।।25।।
@SUHANAKOHLI9 ай бұрын
पूर्ण परमात्मा की भक्ति, पूर्ण गुरु द्वारा बताई गई साधना करने से मुनष्य के सभी पाप नाश हो जाते हैं
@kamleshkumari71009 ай бұрын
सदभक्ति से पाप कर्म नाश होते हैं
@gomtikoushal93189 ай бұрын
🔅सतभक्ति करने वालों के परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
@SavitaDasi-rg5dc9 ай бұрын
पवित्र हिन्दू शास्त्र वेद NS गीता शास्त्र में पित्तर व भूत पूजा, देवताओं की पूजा निषेध कही है। प्रमाण : गीता अध्याय 9 श्लोक 25 यान्ति, देवव्रताः, देवान्, पितृन्यान्ति, पितृव्रताः। भूतानि, यन्ति, भूतेज्याः, यन्ति, मद्याजिनः, अपि, माम्।।25।। श्रीमद्भगवद्रीता परन्तु फिर भी हिन्दू समाज के धर्मगुरु हिंदुओं को इसके विपरीत विधि बताकर भूत पुजवा रहे हैं। यह सब काल का जाल है। जागो हिन्दू भाई बहनों।
@knowledgenk9 ай бұрын
साधु दर्शन राम का, मुख पर बसे सुहाग। दर्शन उनही को होत हैं, जिनके पूर्ण भाग।।
@RAW99M9 ай бұрын
गीता शास्त्र में पित्तर व भूत पूजा, देवताओं की पूजा निषेध कही है। प्रमाण : गीता अध्याय 9 श्लोक 25 यान्ति, देवव्रताः, देवान्, पितृन्यान्ति, पितृव्रताः। भूतानि, यन्ति, भूतेज्याः, यन्ति, मद्याजिनः, अपि, माम्।।25।। परन्तु फिर भी हिन्दू समाज के धर्मगुरु हिंदुओं को इसके विपरीत विधि बताकर भूत पुजवा रहे हैं। यह सब काल का जाल है। जागो हिन्दू भाई बहनों।
@jagatrampatel69219 ай бұрын
सतयुग से लेकर अब तक प्रत्येक मानव भगवान को प्राप्त करने, जन्म-मृत्यु, वृद्धावस्था के कष्ट से छुटकारा पाने और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील है। इसके लिए ऋषि, मुनियों और तपस्वियों ने हजारों, लाखों वर्षों तक घोर तप भी किया लेकिन परमात्मा प्राप्ति का उनका यह प्रयत्न विफल रहा। क्योंकि नितिन दास जैसे संतों ने उसे डुबोदिया
@DilipKumar-me9zz9 ай бұрын
शास्त्र विरुद्ध साधना से ना किसी की गति होती है और ना किसी को मुक्ति प्राप्त होती है गीता अध्याय 16 श्लोक23
@pradhanbijay46429 ай бұрын
गुरु बिन माला फेरते हैं गुरु बिन देते दान गुरु बिन दोन निष्फल है चाहे पूछो वेद पुराण
@beautyyadav19869 ай бұрын
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि शास्त्र विधि को त्यागकर जो साधक मनमाना आचरण करते हैं उनको ना तो कोई सुख होता है, ना कोई सिद्धि प्राप्त होती है तथा ना ही उनकी गति अर्थात मोक्ष होता है।
@shivambairagi47219 ай бұрын
गीता अध्याय 18 शोक 23 में कहां है जो सड़क शास्त्र विधि को त्याग कर जो मनमाना आचरण करते हैं उनको ना तो कोई सुख हहोताहै ना कोई सिद्धि को प्राप्त होता है तथा ना ही गति अर्थात मोक्ष होता हैं
@dalusarware1569Ай бұрын
मन माना आचरण किसका और कैसा होता है।।
@realgyan90129 ай бұрын
जब ही सतनाम हृदय धरो, भयो पाप को नाश जैसे चिंगारी अग्नि की पड़ी पुराने घास ||
@dkdas22769 ай бұрын
सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है।
@ShambhuDayalDasPanchal3 ай бұрын
झूठे गुरूऔं का ऐसे ही पाखंड को सार्वजनिक करते रहिये जी। धन्यवाद।
@manojkumar-ix5wz9 ай бұрын
नितिन दास को अध्यात्मज्ञान कुछ भी नहीं है ये भक्तों को गुमराह किए है
@devrajsumandevrajsuman54949 ай бұрын
Right
@arjeetchauhan1499 ай бұрын
Power_Of_TrueWorship✅ पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
@sciencetechnical45549 ай бұрын
यजुर्वेद अध्याय नंबर 8 का मंत्र नंबर 13 में प्रमाण है कि परमात्मा भक्ति करने वाले भगत के पापों का नाश कर देता है चाहे वह भगत के पिछले जन्म के पाप हूं वह भी नष्ट हो जाते हैं यदि भगत शास्त्रों के अनुसार भक्ति करता है तो
@ramdas77089 ай бұрын
जब ही सत्यनाम हृदय धरयो, भयो पाप का नाश l मानो जिंगारी अग्नि की पड़ी पुरानी घास
@prateekyadav96719 ай бұрын
पवित्र हिन्दू शास्त्र VS हिन्दू गीता शास्त्र में व्रत करना व्यर्थ कहा है। प्रमाण गीता अध्याय 6 श्लोक 16 न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः, न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।16।।
@kabirisgod96449 ай бұрын
जबही सतनाम हृदय धरियो भयो पाप् को नाश जैसे चिंगारी अग्नि की पडी पूरानी घास ।।
@radheshyamdass79899 ай бұрын
सतभक्ति से पाप कर्म का नाश होता है।
@anilksingh54389 ай бұрын
पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने से सारे पाप नष्ट हो जाते है।
@siyaramyadav29419 ай бұрын
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
@manavchaurasiya79153 ай бұрын
Sant Rampal Ji Maharaj Is 100% True
@mangalsharma-i4r9 ай бұрын
जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा
@सत्यज्ञान-च2थ9 ай бұрын
गीताजी आ 16 श्लोक 23 में कहा है कि शास्त्रविरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता है और न ही कोई सुख तथा गति प्राप्त होती है।
@saroj001yadav23 ай бұрын
हमें तो पता भी नहीं था भगवान सकार है हमें तो यही बताया गया अपने धर्म गुरु दुधवा कीभगवान निराकार है पर संत रामपाल जीमहाराज जी के सत्संग सुनकर पता चला भगवान सरकार है बहुत अच्छी जानकारी मिली
@YogendraDass9 ай бұрын
भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात् यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है।
@ManishKumar-bv6bd9 ай бұрын
भई बधाई जाति धर्म या जैण्डर देखकर नहीं कार्य देखकर दी जाती है । सभी को ढेरों शुभकामनाएं
@krishkumar07109 ай бұрын
Sahi baat hai
@knowledgenk9 ай бұрын
तन एक सराय है, आत्मा है मेहमान। तन को अपना जानकर,मोह न कर नादान।।
@SandeepPràjapati-u8w9 ай бұрын
गीता अध्या,16श्लोक 23मे कहा है कि शास्त्रविरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता है और न ही कोई सुख तथा गति नहीं होती है 👍
@grmogare23689 ай бұрын
पाप कर्म से होने वाली पीड़ा से ध्यान हटाने पर पाप कर्म का जो कष्ट है वह कभी कम
@balbahadur36399 ай бұрын
हम हिंदूओ को आज तक ये बताया जाता रहा है कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता, जबकि ऋग्वेद मंडल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1में लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है सरकार है।
@durgaparsad56049 ай бұрын
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में स्पष्ट लिखा है कि पूर्ण परमेश्वर भक्ति करने वाले भक्त के सर्व पाप का भी विनाश भी कर देता है।
@pawankumarpawan27539 ай бұрын
सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
@DharmendraDasVagarabharuch9 ай бұрын
सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्ति परमात्मा के साथ विमान में बैठकर अविनाशी स्थान यानी सतलोक चला जाता है। 🌱🌿💯🌿🌺
@mukeshnareti57119 ай бұрын
सच्चा सतगुरू से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से सर्व सुख शांति प्रदान हो सकती है ।
@rambabusuryavanshi36859 ай бұрын
सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1- 3
@Samarbahadur-tn5sl9 ай бұрын
पवित्र हिन्दू शास्त्र VS हिन्दू गीताजी अध्याय 18 श्लोक 62 प्रमाणित करता है कि पूर्ण परमात्मा गीता ज्ञानदाता से भिन्न है। हे भारत! तू संपूर्ण भाव से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शान्ति को तथा सदा रहने वाले अविनाशी स्थान को अर्थात् सतलोक को प्राप्त होगा।”❤❤❤❤❤
@kamindersingh2529 ай бұрын
वेदों में लिखा है जो वेद शास्त्र के आधार पर भक्ति बताते हैं उस भक्ति करने से पूर्ण मोक्ष तथा यहां के सभी पाप कर्म कट जाते हैं
@Rekhasiyote9 ай бұрын
परमात्मा के सत्यनाम का स्मरण करने से बहुत से अधम (नीच कर्मी प्राणी) भी भव सागर से पार हो गए।
@DIPANSHUFF559 ай бұрын
परमात्मा के सतनाम का सुमरन करने से बहुत से अधम ( निच करमी) पारसी भव सागर से पार हो जाएगे
@armyloveranku68349 ай бұрын
Mantro ke jaap say kabhi mox ni hoga ye 52 akhri naam hai jo insaan ne banaye hai rampal galt sandna de thy hai
@sgh35689 ай бұрын
Jab hi satnaam hriday dharo, bhayo paap ke naash; mano chingari Agni 🔥ki; pdi purani ghaas
@sgh35689 ай бұрын
Nitin das ko Satnaam aur satgyaan ek lgta hai, murkh pakhandi
@ashokdubay20529 ай бұрын
पूर्ण परमात्मा की साधना से घोर से घोर पाप भी नाश हो जाता है
@DineshBhuriya-p1l3 ай бұрын
बहुत बडीया आपका बोलने और समझने का बहुत बडीया है सर जी।❤❤ बहुत बडीया न्युज एंकर जी ❤
@NIRBHAY7269 ай бұрын
हम हिंदुओं को आज तक ये बताया जाता रहा कि परमात्मा निराकार है वो दिखाई नहीं देता। जबकि ऋग्वेद मण्डल न 9 सूक्त 82 मंत्र 1 में साफ लिखा है कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है और ऊपर के लोक में विराजमान है। इससे स्पष्ट है भगवान निराकार नहीं साकार है।
@rakeshpawar32909 ай бұрын
आज तक के इतिहास में कभी किसी भागवत कथावाचक द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता खोलकर नहीं दिखाई गई और न ही उसमें वर्णित श्लोकों का अर्थ बताया गया। सभी धर्मगुरु केवल उपवास और राशियों, ग्रह एवं नक्षत्रों के ऊपर बल देते हैं। मोक्ष के विषय में न उनके पास स्वयं कोई
@devrajsumandevrajsuman54949 ай бұрын
Right
@akkibhai39399 ай бұрын
श्रीमद् देवीभागवत पुराण के अध्याय 5 पृष्ट 123 में प्रमाण है कि भगवान शंकर भगवान ब्रह्मा तथा भगवान विष्णु माता दुर्गा से उत्पन्न हुए हैं
@ganeshshende13209 ай бұрын
राज तजना सहज है, सहज त्रिया का नेह। मान बड़ाई ईर्ष्या, दुर्लभ तजना येह ।।
@virajfule14329 ай бұрын
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण व भक्ति साधना करता है उसको न कोई सुख होता है न ही सिद्धी प्राप्त होती है और ना ही उसकी गति होती है अर्थात् व्यर्थ साधना है।
@Urmilasingh-s3d6 ай бұрын
संत रामपाल जी महाराज जी एक ऐसे महान संत हैं जिनका यथार्थ तत्वज्ञान इतना प्रबल है कि इसके समक्ष अन्य संतों व ऋषियों का ज्ञान टिक नहीं पाएगा। जैसे तोप का गोला जहां भी गिरता है वहां पर मैदान साफ कर देता है। 17 फरवरी को उनका बोध दिवस है।
@nakulchandel58019 ай бұрын
आछे दिन पाछे गये, गुरु से किया न हेतु। अब पछतावा क्या हुआ,जब चिड़िया चुग गई खेत।।
@gurmeetsingh-bi1vl9 ай бұрын
जब सतनाम हृदय धरो भयो पाप को नाश जैसे चिंगारी अग्नि की पड़े पुराने घांस
@sa_agar9 ай бұрын
वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा सदभक्ति करने वाले के पापकर्म खत्म कर देता है।
@sandeepsaini10189 ай бұрын
पवित्र ऋग्वेद में प्रमाण है कि परमात्मा अपने साधक के सभी पापो को समाप्त कर देता है ।
@radheshyamdass79895 ай бұрын
पवित्र ऋग्वेद में प्रमाण है कि परमात्मा साधक का घोर पाप भी समाप्त कर देता है।
@kamindersingh2529 ай бұрын
शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से हमारे प्रारब्ध के कर्म भी खत्म हो जाते है और हमें पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है
@SatendraAwana9 ай бұрын
यजुर्वेद अध्याय 8मन्तृ 13मे कहा है कि परमात्मा अपने साधक घोर पापों का नाशक करता है। इसलिए यदि पाप खत्म हो गये तोफिर रोग भी नहीं रहेगा।
@sanjaybhandurge5729 ай бұрын
पुर्ण परमात्मा की भक्ति शास्त्र अनुकूल साधना अनुसार करने से पाप कर्म कटते हैं।
@gurnamchand9669 ай бұрын
राम नाम जपते रहो जब तक घट में प्राण। कभी तो दीनदयाल के भिनक पड़ेगी कान।।
@Amitkumar-9819 ай бұрын
वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा घोर से घोर पापों को नाश कर देता है।।
@SandhyaSingh-ho8hs9 ай бұрын
सतभक्ति करने से चौरासी लाख योनियों का कष्ट दूर हो जाता है। सतभक्ति करने वालों के परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
@dineshdass58639 ай бұрын
आज तक हमें श्राद्ध करना और पितर पूजा करना मोक्ष की क्रिया बताया जा रहा था। लेकिन गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में श्राद्ध और पिंड आदि कर्मकांड को गलत बताया है। मार्कन्डेय पुराण में भी पितर पूजा को मूर्खों की साधना कहा है। तो फिर ये साधना क्यों कारवाई जा रही है। संभलो हिन्दू भाइयो
@grmogare23689 ай бұрын
जो शास्त्र के अनुसार भक्ति नहीं करते हैं और नकली गुरु में फंसे हुए हैं उनको मृत्यु के बाद यम के दूत नरक में घसीट के ले जाते हैं
@raghurajsingh56159 ай бұрын
Great Spiritual Knowledge
@grmogare23689 ай бұрын
गीता अध्याय 16 शोक 23 में कहा गया है शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करने से ना कोई सुख मिलता है ना लाभ होता है ना मुक्ति
@poonamdasi91539 ай бұрын
पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने से सर्व संकट टल जाते हैं और जीवन भर रक्षा होती है। क्योंकि परमात्मा आत्मा का असली साथी है।
@AshutoshKumar-sf7zd9 ай бұрын
ऋग्वेद, मंडल 10, सूक्त 163 मंत्र 1 पूर्ण परमात्मा पाप कर्म हमारे नाश करने वाले हर कष्ट को दूर करने विषाक्त रोग से मुक्ती दिलाने वाले हैं उनका नाम कविर्देव है
@hublaldas69489 ай бұрын
वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा पाप कर्म को काट देते हैं।
@grmogare23689 ай бұрын
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में कहा गया है परमात्मा अपने साधन के घोर पाप का नाश करता है यदि पाप नाश हो जाएंगे तो कोई दुख नहीं रहेगा यह हमारे वेद प्रमाणित करते हैं
@RajeshJaiswal-gc7ex21 күн бұрын
Satsaheb ji ❤
@nandramdhaker71089 ай бұрын
सही सुमिरन और भक्ति से ही परमात्मा राजी होते हैं। पूर्ण परमात्मा की जानकारी के लिए जरूर पढ़े पुस्तक "जीने की राह
@GaribdasRam7 ай бұрын
पूरे विश्व में सिर्फ संत रामपालजी महाराज जी की ही भक्ति सही हैं।
@ASHOKKUMAR-lm1jz9 ай бұрын
गीता अध्याय 4 का श्लोक 5 में गीता बोलने वाले प्रभु ने स्पष्ट कहा है कि हे परन्तप अर्जुन! मेरे और तेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। उन सबको तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ।
@nigamsharma41689 ай бұрын
Bhagavad Gita Chapter 8, Verse 16, reveals that even those who attain Brahmaloka experience rebirth, emphasizing the cycle of birth and death. Understanding this is crucial for seekers aiming for liberation.
@tejeshmehra56779 ай бұрын
शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से हमारे प्रारब्ध के कर्म भी खत्म हो सकते हैं और हम मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं
@NRDaas249 ай бұрын
नितिन दास भक्तों को गुमराह कर रहे हैं
@MadhuDassi-t1h9 ай бұрын
True spiritual knowledge 😊
@Adarshi7x9 ай бұрын
पूरण परमात्मा गौर से घोर पाप का नाश कर सकते हैं
@ashokmaurya37979 ай бұрын
Authentic spiritual knowledge
@सत्यज्ञान-च2थ9 ай бұрын
यजुर्वेद आ 8 मन्त्र 13 में कहा है कि परमात्मा अपने साधक के घोर पापों का नाश करता है। इसलिए यदि पाप खत्म हो गये तो फिर रोग भी नहीं रहेगा।
@vineshkumar50379 ай бұрын
यजुर्वेद अध्याय 8 के मंत्र 13 में कहां है कि परमात्मा अपने साधक के सभी पाप नष्ट कर देता है जब हम शास्त्रों के अनुसार भक्ति करते हैं तो हमारे पाप कट जाते हैं इसलिए सभी रोग नष्ट हो जाते हैं
@RajkumarNag-hq2lq9 ай бұрын
पूर्ण परमात्मा घोर से भी घोर पाप को नष्ट कर देते हैं
@DineshKumar-ji6fe9 ай бұрын
Purn Parmatma Gaur Se Gaur Paap nasht kar deta
@anujchaurasiya92689 ай бұрын
‘‘पवित्र हिन्दू शास्त्र VS हिन्दू’’ गीता शास्त्र में पित्तर व भूत पूजा, देवताओं की पूजा निषेध कही है। प्रमाण : गीता अध्याय 9 श्लोक 25 यान्ति, देवव्रताः, देवान्, पितृन्यान्ति, पितृव्रताः। भूतानि, यन्ति, भूतेज्याः, यन्ति, मद्याजिनः, अपि, माम्।।25।।
@jasbirdaas11589 ай бұрын
गीता अध्याय 11 श्लोक 23 में उस पूर्ण परमात्मा (सतपुरूष) की साधना का भी संकेत दिया है। है कि उस पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति का तो केवल (ॐ-तत्-सत् ) इस तीन मंत्र के जाप का निर्देश है। यही साधना साधक जन सृष्टि के प्रारंभ में करते थे।
@pyarelal18759 ай бұрын
परमात्मा कहते हैं सत्य भक्ति करने से घोर से घोर पाप काट देते हैं यजुर्वेद अध्याय 8के श्लोक नंबर 13 में स्पष्ट प्रमाण है कि परमात्मा घर से घोर पाप कट देता
@rajeevvishwakarma-pc1bh9 ай бұрын
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में लिखा है कि सद्भक्ति करने वाले साधक के घोर पाप को परमात्मा नष्ट कर देते हैं
@SuhanaMeena-u8c9 ай бұрын
The ultimate goal of bhakti/devotion is to seek true spiritual knowledge, identify our real Supreme Father and perform those practices which actually provide ‘moksha’ (i.e salvation).
@krishkumar07109 ай бұрын
It's aa right
@ajitkachhap72259 ай бұрын
वेदों में प्रमाण है कि सच्चा गुरु के शरण में रह के सच्ची भक्ति करने से पाप कर्म कट जाते हैं
@keshawprasadpatail56609 ай бұрын
वेदों में प्रमाण है कि सच्चा गुरु की शरण में रह कर सच्ची भक्ति करने से पाप कर्म कट जाते हैं।
@sohadrayadav12899 ай бұрын
आपके चैनल को बहुत बहुत धन्यवाद जो सच्चाई को सामने लाएं ।