बहुत ही सुंदर मनमोहक प्रस्तुति आदरणीय स्वामी जी प्रयास
@HanumanBishnoiDara Жыл бұрын
स्वामी सच्चिदानंद जी को कोटि कोटि प्रणाम गुरु जी हमेशा ऐसा बताया करो जय जम्भेश्वर भगवान कि जय गुरुदेव जी को 🎉🎉🎉🎉🎉
@ramprasadvishnoi2558 Жыл бұрын
भारतीय संस्कृति में ऋषि /गुरूजनों/संत महात्माओं नें वैज्ञानिक/शिक्षक/लेखक के रूप में कार्य किया जैसे आर्यभट्ट,चाणक्य,वेदव्यास, वाल्मीकि अनेकों ने कार्य किया है ,समाज को दिशा दिखाई है इसी ऋषि परपंरा को गुरूदेव आगे बढा रहे है।गुरुदेव आपको प्रणाम।
@VijaySingh-du1en Жыл бұрын
Nevin pranam guru jii
@rajeshbishnoi7922 Жыл бұрын
Moj bangi sachinji ge
@omprakashvisnoi1935 Жыл бұрын
जय हो गुरु देव जी निवण प्रणाम करता हुं जी आपको ❤❤❤अछी जानकारी दी है आपने 😂😂😂खेती के लिए उपकरण काम लेते हैं विदेशी लोग हम भारतीय लोग सब कुछ मेहनत खुद हाथो से करते हैं ❤❤😂😂
@vimlabishnoi5459 Жыл бұрын
Nice guruji 👌🏻👌🏻
@inderjeetbishnoi7828 Жыл бұрын
खेतो की विजिट आपके साथ हमने भी कर ली हैं ❤ नमन है गुरुजी Inderjeet patodia 3 JKM RSNR SGNR
@नरसिंहबिश्नोईनरसिंहबिश्नोई Жыл бұрын
गुरुजी ऑस्ट्रेलिया जाने की क्या प्रोसेस रहती है और थोड़ी सी मुझे बताइए
@inderpalmandasuratgarh3355 Жыл бұрын
👋👋👋👋
@sushiljajudabishnoi3024 Жыл бұрын
🎉
@PraveenSanchore29 Жыл бұрын
गुरुजी उनके वहा रोजडे और भडुरे कोनी के अता खुला खेत है तो 😂😅
@manglijani3538 Жыл бұрын
👍👍
@medam123 Жыл бұрын
गुरुजी ये मैथ्यू क्या चीज ह ये लोचा समझ नहीं आया 😂😂
@AshishVishvakarma-di2jr Жыл бұрын
Guruji mujhe Australia mai krishi ka Kam dila dijiyen na
@gandabhaichaudhary7238 Жыл бұрын
Guru ji pranam, Mitti kaise hai vo janch karo Giru ji.🌹🌹🙏🙏
@sheokand4158 Жыл бұрын
क्या आस्ट्रेलिया में जमीन ख़रीद बी सकते हैं हम
@SurendraChoudhary-rg8tqАй бұрын
5 महीने तो हमारे यहां नहीं लगता 3 महीने से ज्यादा नहीं लगता कोई सी भी गोभी में
@नरसिंहबिश्नोईनरसिंहबिश्नोई Жыл бұрын
गुरु जी ध्यान करके खाना अपने इंडिया में तो लट बहुत होती है अंदर
@नरसिंहबिश्नोईनरसिंहबिश्नोई Жыл бұрын
गुरुजी इंडिया में तो ब्रोकली बहुत कड़वी होती है
@omparkashbishnoi6911 Жыл бұрын
गुरू भगवान जाम्भोजी शब्द वाणी अनुसार बिश्नोई पंथ का प्रचार करने भ्रमण करते थे, परन्तु सचिनदाआनन्द आनन्द करने हेतु जाते हैं। यह इनके विडियो से स्पष्ट है। ये घुमने के शौकीन ज्यादा है। धर्म और पंथ आज मनोरंजन ज्यादा है। लोग मुकाम भी जाते हैं तो घुमने का ही ज्यादा चर्चा करते हैं, क्योंकि पैसा अध्यात्म नहीं सिखाता, वह भौतिकता के साधन से अध्यात्म की पूर्ति करना चाहता है। इसी कारण संत भी चित्र से संत दिखना चाहते हैं, जीवन से नहीं, क्योंकि आज त्याग करना बहुत कठिन है, त्याग मजबूरी का नाम है।
@vinodgodara2011 Жыл бұрын
निंदक नियरे राखिए (कबीर जी ) अच्छा है की आप जैसे निंदक नजदीक है, बड़ी खुशी है आपके नेगेटिव कमेंट करने से.. आपसे निवेदन है कि आप ऐसे ही निंदा करते रहें और जलन की आग में ऐसे ही जलते रहे ... आप महान है.. 🙏
@omparkashbishnoi6911 Жыл бұрын
बहुत से लोग सबदवाणी को निन्दा मानते हैं क्योंकि गुरू जम्भेश्वर तो स्वयं विष्न भगवान थे, बहुत से लोग उनकी सबदवाणी में दी गयी उपमाओं की पूजा करते हैं। यह हर व्यक्ति की सोच और खुद की शिक्षा पर निर्भर करता है। हमारा राजस्थान गुरू जम्भेश्वर से पहले अनेकों दादाओं और दादियों व भोमिया की स्तुति करता है। जबकि सबदवाणी में गुरू महाराज ने गुरू के लक्षण बताये है और गुरू भगवान ने इस सृष्टि के रचयिता आदिविष्न् का जप बताया है, क्योंकि पूजा साक्षात की होती है, और गुरू जम्भेश्वर ने भी साक्षात भगवान अपने माता-पिता के अमरलोक में जाने के उपरांत संन्यास लिया था। अर्थात वे गृहस्थी से आये थे, पर अपना गृहस्थ कर्तव्य पूर्ण करके आये थे। आज सन्याशी बनते हैं, पर अपने भगवान को छोड़कर आते हैं। इसलिए मैं किसी की आलोचना नहीं करता। मैं कुछ नहीं हूं, मैं गुरू जम्भेश्वर का बनाया माध्यम हूं। सच्चिदानंद आनन्द में रहे, पर वहां गुरू भगवान की शिक्षाओं का प्रचार करें यदि सम्भव नाम हो तो उनके नाम पर कोई एक वृक्ष रोपण जरूर करके आये। आपने कबीर की वाणी का जिक्र किया, यह ज़िक्र सबदवाणी अनुसार करते तो बहुत अच्छा लगता।