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परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने इस विडियो में सरसों तेल निर्माण इकाई के बारे में बताये हैं |
जो हम सरसों तेल का उपयोग करते हैं इसका यहा पूरा भन्डारन हैं और इसकी जो पुरे प्लांट की जो रचना हैं इसके अंदर बहुत गहरा टैंक बना हैं यहाँ चार से पांच हजार बोरि की छमता हैं इसके पीछे जो सरसों का स्टोर हैं और उसको यहा पर लाकर इसको छाना जाता हैं और इसमें झरना लगा हुआ हैं वो झरने में से छनकर यहीं पर आता हैं और उसको फिर दला जाता हैं और इसको पूरी तरह से साफ सफाई की साथ दिया जाता हैं और उसको नीचे से कनवेर बेल्ट उपर उठाया जाता हैं और इसको उपर उठाने के लिए दो बेल्ट लगी हुई हैं और ये पाईप के माध्यम से चारो तरफ सफ्लाई होता हैं और उसको खोला और बंद किया जाता हैं और इसमें से सरसों निकलता हैं और इसकी फिर घुटाई होती हैं इसमें एक सौ चार कोलू लगे हुए हैं और यह 45 मिनट में ये घानी तैयार हो जाती हैं और यहाँ जो सारे कोलू उसमे अच्छी तरह से घुटाई होती हैं और यह तेल 30डिग्री में तेल निकलता हैं और इस कोलू के अंदर लकड़ी लगी हुई हैं और 45 मिनट तक घुटाई होने के बाद यह स्पेलर में जाता हैं और जो इस कोलू में 35 डिग्री में जो 75% जो तेल हैं उस तेल में मिनिमम 40% तेल रहता हैं और नीचे जो कोलू हैं जिसमे 35 डिग्री में घुटाई होती हैं जिसे कच्ची घानी का तेल कहा जाता हैं और यही वास्तविकता हैं पतंजलि के कच्ची घानी तेल की प्रमाणिकता के साथ तैयार किया जाता हैं और वहां से जो पूरी खल बच गयी हैं उसमे 75% तेल निकल गया हैं और अभी इसका 25% तेल बाकी हैं और यह अभी पूरी तरह से खल का रूप नही लिया हैं जैसे आयुर्वेद में दवा की घुटाई होती उसे कोलू में पिलाई होने के बाद 75% तेल निकलने के बाद स्प्लेर में आता हैं और यहाँ पर 80% डिग्री होता हैं और इसको फ़ास्ट प्रोसिस्र नही किया जाता जाता हैं यहाँ पर 6 स्पेलर हैं जो एक दुसरे में से छठे तक जाती हैं और यह प्रक्रिया पूरी होती हैं और उसके बाद खल बनती हैं और जो पशुओ को खिलाने के काम आती हैं उसमे भी 7-8% तेल शेष रह जाता हैं और पशुओं के लिए शुद्ध खल हैं तो उसमे सबसे ज्यादा प्रोटीन पोषक तत्व और उनके दूध बढ़े इसलिए इस खल का प्रयोग करते थे कोलू में पिलाई होने के बाद एक एक स्पेलर में फिर इसमें से जो शेष तेल रह जाता हैं और 75% तेल तो कोलू में निकाल लिया जाता हैं और बाकी जो तेल रह जाता हैं वो कोलू के अंदर निकलता हैं और ये जो खल हैं जो कोलू में से 25% तेल के साथ निकलता हैं और यह खल पूरी बाहर इक्कठी हो जाती हैं और कुछ जो पशु पालक हैं वो इस खल को खरीद लेते हैं कच्ची घानी तेल की विशेषता यह आँखों से आंसू निकलता हैं और उसमे प्राकृतिक झांस आने लगती हैं तो असली सरसों का झांस और असली सरसों का स्वाद वो आपको पतंजलि के कच्ची घानी के तेल में मिलता हैं और कुछ लोग कच्ची घानी के नाम पर मिर्च डाल देते हैं यह सारा तेल कोलू से स्पेलर से पाईप द्वारा आता हैं और इसके अंदर आठ टन का फिल्टर हैं जिसमे चार फिल्टर लगे हुए हैं और इसमें किसी भी तरह का केमिकल नही मिलाया जाता हैं और यहा से पूरा प्रोसिस होने के बाद जो 31-31टन के जो कैपिसिटी वाले टैंक हैं और वहां से यह तेल स्टोर होता हैं यहीं पर जो पतंजलि का कच्ची घनी सरसों का तेल हैं जहाँ पर पैकिंग के लिया आता हैं और देश नही दुनिया की किसी भी लिब्रोयती में इस तेल को चेक करवाएंगे तो यह आपको 100% शुद्ध मिलेगा क्योंकि यहाँ पर मिलावट का कोई प्रश्न ही नही होता यहा पर 1-1 लिटर की पैकिंग हो रही हैं और जिसको पाउच व बड़े पैकिंग में उपलब्ध कराये जा रहे हैं और इसके फाइनल लेवल में लिखा हुआ हैं पतंजलि कच्ची घानी सरसों का तेल सरसों का झांस सरसों का स्वाद तो यही इसकी प्रमाणिकता हैं और यह बिना किसी विज्ञापन के पवित्रता के आधार पर शुद्धता के आधार पर इसको उपयोग करे
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