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त्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रो में माँ नंदा को ध्याणी यानि की कन्या माना गया है। मान्यता यह है कि माँ नंदा जोकि शिव अर्धांग्नी पार्वती माता हैं ६ माह के लिए अपने मायके यानि कि उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र और ६ माह अपने ससुराल यानि कि भगवान शिव के कैलाश पर्वत पर रहती है। माँ नंदा के लिए वीरान और कठोर कैलाश के मौसम में समय व्यतीत करने के लिए अपने मायके कि यादें रहें इसलिए विदाई से पूर्व माँ नंदा के लिए पात्ति मेले का आयोजन किया जाता है।