हमारे प्यारे प्यारे गुरुवर श्री कृपालु महाप्रभु ने प्रेम रस मदिरा नामक अत्यंत उत्कृष्ट, अलौलिक एवम अद्वितीय पद संग्रह की रचना जीव कल्याण के लिए करके हम अधम पतित जीवों का बहुत उपकार किया है। प्रस्तुत पद ही उसकी एक बानगी है। रसमय दीनता से भरा हुआ पद मन को झकझोरता है कि हे प्रभु तुम्हारे बिना कौन हम जीवों की पीड़ा को समझ कर हरण कौन कर सकता है। तुम्हीं कर सकते हो। हे दीनानाथ अब चौरासी लाख योनियों में घूम घूम कर थक गया हूं। अब तुम्हारी कृपा का ही सहारा है। राधे राधे।
@Poonamsingh-ws5yh2 жыл бұрын
😭😭😭😭😭😭🙏🙏❤️🌹🌹
@Poonamsingh-ws5yh2 жыл бұрын
🙏🙏
@Poonamsingh-ws5yh2 жыл бұрын
Mere Pyare Pyare Shri Maharaj Ji ki Sada hi Jay ho 🙏🙏🙏❤️🌹🌹🌹
@ramgopalchaurasia72582 жыл бұрын
राधे ✋✋✋🙏🙏 प्यारे प्यारे श्री महाराज जी की जय🙏🙏✋✋✋🥰🥰😘😘🤩🤩❤️❤️🌺🌺🌻🌻🌷🌷
@vimalbalani2762 Жыл бұрын
लख चौरासी योनि चराचर, बहु विधि स्वांग धरे - सचमुच हम अनन्तकाल से विभिन्न योनियों में भटक रहे हैं और इस नर तन में भी हम अब सजग नहीं रहे तो इस भवसागर में भटकते रहेंगे । इसलिए इस भयानक दुख से निकलने के लिए हरि गुरु कृपा पाकर हमको सम्पूर्ण शरणागति करनी है । जय जय महाराज जी जय जय युगलसरकर 2 सितंबर 2023, जयपुर