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पितृपक्ष में पितृ का श्राद्ध और तर्पण करना जरूरी माना जाता है। पितृलोक की प्राचीन कथा पितृपक्ष में सुने सभी पितृ खुश होंगे उनको मोक्ष मिलेगा एवं पितृदोष से मुक्ति मिलेगी | यदि कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करता तो उसे पितृ का श्राप लगता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध करने के बाद जितना जरूरी भांजे और ब्राह्मण को भोजन कराना होता है, उतना ही जरूरी कौवों को भोजन कराना होता है। माना जाता है कि कौवे इस समय में हमारे पितृ का रूप धारण करके पृथ्वीं पर उपस्थित रहते हैं। पितृ अपनी संतानों को परेशान नहीं करना चाहते | संतान के द्वारा श्राद्धकर्म और पिंडदान आदि करने पर उन्हें तृप्ति मिलती है, पितृ श्रद्धा भाव से किए गए श्राद्ध के खुशी के साथ स्वीकारते हैं। जानते हैं पितृ पक्ष की कथा कहानी जिसमे पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।