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मौर्य साम्राज्य के विघटन के बाद उत्तर भारत में लगभग 500 वर्षों तक किसी शक्तिशाली राज्य का उदय नहीं हो सका। इस बीच कुछ समय के लिए मध्य देश में शुंग, पंजाब में विदेशी आक्रमणकारी ( जैसे बैक्ट्रियाई-यवन, पल्लव
और शकों) ने अपना अधिकार अवश्य स्थापित किया । इनके बाद उत्तरी भारत में कुषाण तथा दक्षिण में सातवाहन एवं वाकाटकों का भी उदय हुआ, परन्तु गुप्त साम्राज्य के उदय के बाद ही भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य का पुनर्निर्माण हो सका। गुप्तकालीन इतिहास की जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत उस काल के अभिलेख हैं यूं तो गुप्तकाल के 50 से भी अधिक अभिलेख प्राप्त हुए हैं किंतु उनमें से कुछ का ही ऐतिहासिक महत्व अधिक है | गुप्त काल के प्रथम तीन शासक श्री गुप्त घटोत्कच एवं चंद्रगुप्त प्रथम के अभी तक कोई अभिलेख प्राप्त नहीं हुए हैं सभी गुप्तकालीन अभिलेखों की भाषा संस्कृत एवं लिपि ब्राम्ही है