प्रभु भक्ति में लीन होने लिए सतसंग जरूरी है उसी प्रकार आदरणीय महाराज साहेब के इस मधुर संगीत मय इस गीत से हम अपने जीवन को भक्ति मार्ग से अपने कर्म में सद्कर्म से इस भव में नेक कार्य करने के लिए प्रेरित करते है आदरणीय महाराज का यह गीत ज्ञानवर्धक एवम मधुर वाणी से अमृतवाणी की ओर ले जाता है।। जय जिनेन्द्र