Рет қаралды 19
जब तक जीव अपना मानसिक संबन्ध शरीर से बनाए रखेगा,तब तक इन्दरीयों के विषयों में आन्नंद महसूस करता रहेगा।
जब तक जीव इन्दरीओं के विषयों में आन्नंद महसूस करता रहेगा,तब तक शरीर बोध खत्म नहीं होगा।
जब तक शरीर-बोध खत्म नहीं होगा, तब तक अज्ञान खत्म नहीं होगा।
सत्य का ज्ञान समझ नहीं आऐगा।
जब तक सत्य का ज्ञान नहीं होगा, तब तक ब्रह्म-ज्ञान में स्थित व स्थिर नहीं रह सकोगे।
*_ब्रह्म-ज्ञान में स्थित व स्थिरता के बिनां ,वन्धन मुक्त होकर ,मोक्ष की यात्रा में सफल होना सम्भव नहीं।_*😌
मैं आप के भीतर विराजमान प्रभु को महसूस करवा कर रहूँगा।
आप का जीवन आनन्द मय बना कर रहूँगा।
आप के अन्ताकरण से सब प्रकार के वहम-भ्रम, अन्धविश्वास, डर खत्म कर के रहूँगा।
आप का अन्ताकरण शुद्ध कर के आप का अध्यात्मक विकास करने का प्रयास करता रहूँगा।
आप को साधना करने के काबिल बना कर रहूँगा।
*_यह मेरा संकल्प है..._*😊