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माघ मास की चतुर्दशी को नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित व्रत। इस दिन भगवान शिव का विवाह तय हुआ था। इस साल यह व्रत 28 जनवरी को होगा, जिसमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखा जाएगा। इस दिन शिव मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना और उपवास से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है।नरक निवारण चतुर्दशी व्रत में सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखा जाता है। और शाम के समय तिल, बेर और सेम खाकर व्रत का पारण किया जाता है। इसलिए इस व्रत में तिल बेर और सेम का बड़ा ही महत्व है। बिहार में मकर संक्रांति पर बना तिल का लड्डू लोग लोग अलग से इस दिन के लिए निकालकर रख लेते हैं। और शाम के समय तिल के लड्डू, बेर और सेम से व्रत को संपन्न करते हैं।इस दिन सुबह स्नान ध्यान करके पास के शिव मंदिर में जाएं और दूध,दही,घी, शहद,गंगाजल से अभिषेक करें। शिवजी को सुगंधित चंदन लगाएं। और बेलपत्र, फूल, अक्षत अर्पित करें। इसके साथ ही इस दिन भोले बाबा को बेर का फल भी अर्पित करें। कहते हैं कि इससे बैरियों यानी शत्रुओं का भय दूर होता है।
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