सुबद हाँसदा का दिमाग़ सठिया गया। ये कौन हैं खुद को पता नहीं ? बंगाल में भाषण देता है तो अपने को संताल बोलता है और संतालों का धर्म 'सारी धरम' की माँग करता है। (आम मा बयहा संताल कानाम तिस दो आदिवासी ऐम बेनाव ऐना' होड़ ऐड़े मा आडी ऐम गान ऐदा।) ये ही आदमी जब बंगाल से बाहर आता है अपना सुर बदल लेता है और संताल से आदिवासी बन जाता है। आज अगर कोई संताल को बांटा हैं तो वो सुबद हाँसदा है। आज भारत, नेपाल और बंगलादेश के संताल आदिवासी "सारना धरम" मानते हैं। सुबद हाँसदा और अपने सहपाठियों के साथ एका-दुका लोग २००१ के बाद से 'सारी धरम' मानते हैं। इससे पहले खुद सारना धरम के अनुयायी रहा है। सुबद हाँसदा खुद अपने को पहले जाने फिर धरम कोड की माँग रखे। संताल - संताल में आज खाई बनाने का काम सुबद हाँसदा ने खोदा। अन्य लोग धरम के नाम पर एकत्रित होता है पर सुबद हाँसदा धरम के नाम पर संताल - संताल को बांटा हैं। हिरला माराङबुरू हिरला जायजिन जाहेर आयो, मोड़ेको तुरूयको सारना धरम हितलाई।