श्री विष्णु स्तुति | Vishnu Stuti Hindi - Description नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप श्री विष्णु स्तुति / Vishnu Stuti PDF प्राप्त कर सकते हैं। यह भगवान् श्री हरी विष्णु नारायण जी की बहुत ही सुन्दर स्तुति है। भगवान् श्री विष्णु जी के प्रमुख मंत्रों का जाप करना भी मनुष्य के लिए फलदायक माना गया है। जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु का स्वरूप बेहद शांत और आनंदमयी है। ऐसा माना जाता है कि अगर नियमित तौर पर भगवान विष्णु को याद किया जाए तो व्यक्ति के जीवन के समस्त संकटों का नाश होता है। साथ ही धन-वैभव की प्राप्ति भी होती है। आज अजा एकादशी के दिन अगर कोई व्यक्ति स्तुति के साथ निम्न मंत्रों का जाप भी करता है तो यह बेहद शुभ होता है। विष्णु स्तुति PDF | Vishnu Stuti PDF in Hindi श्रीमध्वसंसेवितपादपद्मं रुद्रादिदेवैः परिसेव्यमानम् । ऋष्यादिभिर्वेदपथैः सुगेयं कथं नु पश्येयममोघवीर्यम् ॥ १॥ हृन्मन्दिरे सुन्दररत्नपीठे लक्ष्म्यात्मके सारतरे निविष्टम् । श्रीभूसमाश्लिष्टतनुं तथाऽपि पूर्णं निजानन्दमयं परेशम् ॥ २॥ अनन्तपूर्णेन्दुकिरीटशोभितं सुनीलस्निग्धालकशोभिसन्मुखम् । प्रत्यग्रकञ्जायतलोललोचनं सुचम्पकाकोरकनासिकायुतम् ॥ ३॥ प्रवालमध्यार्पितकुन्दकोरकं स्फुरत्कपोलद्युतिदीप्तकुण्डलम् । केयूरभूषायुतबाहुदण्डकं सुचक्रशङ्खाब्जगदाविराजितम् ॥ ४॥ ग्रैवेयरत्नाभरणादिभूषितं सत्कौस्तुभावेष्टितकम्बुकन्धरम् । सुवर्णसूत्राञ्चितसुन्दरोरसं विचित्रपिताम्बरधारिणं प्रभुम् ॥ ५॥ करिराजकरोपमोरुयुग्मं प्रियया सेवितजङ्घया समेतम् । वरकूर्मप्रपदेन शोभमानं ह्यनभिव्यक्तसुगुल्फपादयुग्मम् ॥ ६॥ नखराजिसुपूर्णचन्द्रकान्त्या नुतिमज्जनतापहारिणं रमेशम् । निजपूर्णसुबोधविग्रहं परमानन्दपरात्मदैवतम् ॥ ७॥ ॥ इति श्रीत्रिविक्रमपण्डिताचार्यविरचिता श्रीविष्णुस्तुतिः समाप्ता ॥ श्री विष्णु पूजा मंत्र | Shri Vishnu Puja Mantra ॐ नमो भगवते वासुदेवाय श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। ॐ विष्णवे नम: ॐ हूं विष्णवे नम: ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि। दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्। धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।। ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि। ॐ अं वासुदेवाय नम: ॐ आं संकर्षणाय नम: ॐ अं प्रद्युम्नाय नम: ॐ अ: अनिरुद्धाय नम: ॐ नारायणाय नम: ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।