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सीधा प्रसारण - श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ग्रेटर हैदराबाद से
पुण्य के पैसे मत खरीदो पाप, कुव्यसनों से बचाओ समाज को -समकितमुनिजी
श्रावक जीवन जीना आ जाए तो यह साधु जीवन से कम महान नहीं
पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की आराधना का तीसरा दिन
हैदराबाद, 3 सितम्बर। आपको धन खूब मिला हुआ है यह बड़ी बात नहीं है उसे पुण्य में लगा रहे या पाप में यह महत्वपूर्ण है। तीव्र पुण्य के उदय में जो पाप करने लग जाता है पापानुबंधी पुण्य होता है। अभी हमारा पुण्य ये मिला ज्यादा पैसा पाप को खरीदने खर्च होने से पापानुबंधी पुण्य हो रहा है। पैसा धर्म में लगेगा तो पुण्यानुबंधी होगा। हम श्रावक तो कहलाते है पर चिंतन करे कि कितने घंटे के ओर कब तक है। हमारा श्रावकपना अपनी दुकान या कार्यस्थल पर भी झलकना चाहिए। व्यवहार संभालकर नहीं रखने से जैनियों की छवि पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में अष्ट दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के तीसरे दिन मंगलवार को धर्मसभा में अंतगड़ दशांग सूत्र के अध्यायों का विवेचन करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्रावक जीवन जीना आ जाए तो यह साधु जीवन से कम महान नहीं है ओर फिर आनंद से स्वयं को जैन कह पाएंगे। अभी हम गलत दिशा में आगे बढ़ रहे है ओर कई कुव्यसन समाज में आ चुके है। कई लोग तो खुद जैनी तो बताते है पर एल्कोहल लेने में भी बुराई नहीं मानते है। ऐसी सोच जैन जीवन शैली नहीं हो सकती है। मुनिश्री ने कहा कि ऐसे अपराध ओर परम्परा शुरू करके दुनिया से मत जाना कि बाद की पीढ़ियों के लिए वह नासूर बन जाए। मोक्ष मार्ग धनवान या गरीब से नहीं बल्कि गुणवान से चलता है इसलिए हमारा ध्येय गुणवान बनना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिनशासन किसी को हराता या जीताता नहीं है। ये साधना जो करना सीख लेता है वह मोक्ष प्राप्त कर सकता है। जिस घर के सदस्य एक दूसरें के प्रति प्रेम रखने ओर आगे बढ़ाने की बजाय एक दूसरे को हराने ओर नीचा दिखाने की कोशिश करे वह घर नहीं होकर श्मसान समान होता है ओर उसमें रहने वाले सदस्य भी मुर्दा समान होते है।
जनगणना में धर्म के कॉलम में जैन ओर भाषा में प्राकृत लिखवाएं
प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि शीघ्र ही देश में जनगणना शुरू होने वाली है। जैन धर्मावलम्बी यह अवश्य याद रखे कि जब भी जनगणना करने वाले हमारे निवास पर आए तो धर्म के कॉलम में जैन ओर भाषा के कॉलम में हिंदी या अंग्रेजी के साथ प्राकृत भाषा अवश्य लिखाए। इससे लुप्त हो रही हमारी प्राकृत भाषा को विश्व पटल पर छाने का अवसर मिलेगा ओर हमे पता चलेगा कि हमारा समाज कितना बड़ा है। धर्मसभा के शुरू में पूर्व गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. द्वारा अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन किया गया। उन्होंने भजन ‘‘ये पर्व पर्युषण आया है मंगल संदेशा लाया है’’ की प्रस्तुति दी। दोपहर में सिद्ध आराधना प्रेरणा कुशल भवान्त मुनिजी म.सा. ने कराई। पर्वाधिराज पर्युषण पर्व में तप त्याग का दौर निरन्तर गतिमान है। सुश्राविका शकुन्तला बोहरा ने छह उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने तेला, बेला, उपवास, आयम्बिल व एकासन के प्रत्याख्यान भी लिए। मुनिश्री ने तपस्वियों के लिए मंगलभावनाएं व्यक्त की। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद संघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627