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क्वारंटीन थियेटर फेस्टिवल: जालियांवाला बाग के शहीदों को सलाम। वैसाखी के दिन, जालियांवाला बाग के दुखद अमानवीय हत्याकांड का 101वां साल है। जालियांवाला बाग इंसानियत और हैवानियत की लड़ाई मे ऐतिहासिक सबक देने वाला दुखद और त्रासद नरसंहार है।शहीदों की याद मे राजेश कुमार लिखित, ऊर्जा और जोश से ओतप्रोत 'पगड़ी संभाल जट्टा' (Pagdi Sambhaal Jaata)। संगीत संगीता गौड़ का है।
शहीदे आज़म भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद के विचारों, संघर्ष, बलिदान और योगदान पर आधारित है। निर्देशक अरविन्द गौड़ है। राजेश कुमार का 'पगड़ी संभाल जट्टा' नाटक, भगत सिंह और उनके साथियों के आज़ादी के लिए किए गए संघर्ष और बलिदान की दास्तान है। आज़ादी की लड़ाई के दौरान वे कैसे सपने देखते थे, किस तरह की डिबेट करते थे, क्या सोचते थे, उनके सपने, उनकी विचारधारा, इस नाटक का हिस्सा है। यह नाटक भगत सिंह और उनके साथी क्रांतिकारियों के काम, विचार और उनकी जीवंतता की कहानी है। बहुत कम उम्र में देश के लिए कुर्बान हो जाने वाले इन नौजवानों की जीवन शैली, सामाजिक और राजनीतिक दर्शन इस नाटक में बखूबी उभरता है।
उनका लक्ष्य सिर्फ़ गोरे अंग्रेज़ों को भारत से निकालना नहीं था। उनके लिए आज़ादी का अर्थ था, एक ऐसा सिस्टम जहां कोई किसी का शोषण न करे, अन्याय न हो, कोई असमानता न हो।
नाटक में दर्शाये गए क्रांतिकारी विचार आज और भी ज्यादा प्रासंगिक और समकालीन हैं।
इन क्रांतिकारियों की जिंदगी , उनकी विचारधारा, उनकी सोच हमें प्रेरित करती है, हमें दिशा देती है । एक बेहतर समाज, बेहतर सिस्टम के लिए लड़ने के लिए हमे ताकत देती है। भगत सिंह और उनके साथियों के विचारों को जानना आज की पीढ़ी के लिए बहुत ज़्यादा ज़रूरी है। एक बेहतर भारत, बेहतर समाज के लिए ज़रूरी है कि हम उनकी सोच, उनकी दृष्टि, उनके मूल्यों और उनके सपनों को जाने और समझे।
भगत सिंह हीरो हैं पूरी पीढ़ी के लिए और ऐसे क्रांतिकारियों की कहानी को नाटक में प्रस्तुत करना एक चुनौती भी है और प्रेरणादायक शक्ति भी है। अपने हीरोज़ के बारे में, उनके विचारों के बारे में जानकर हमें प्रेरणा भी मिलती है और देश के लिए उनकी प्रतिबद्धता और कुर्बानियों का एहसास भी होता है।
उन्होंने स्वाधीनता के लिए जो कुर्बानियाँ दी उसको याद रखना ज़रूरी है, ताकि एक बेहतर लोकतांत्रिक भारत, उनके सपनों के देश को हम बना पाएं। ऐसा भारत जहां जाति और धर्म के नाम पर किसी तरह का शोषण, भेदभाव और असामनता न हो।
राजेश कुमार द्वारा लिखित पगड़ी संभाल जट्टा नाटक, अस्मिता थिएटर के लिए इसलिए भी बहुत ज़रूरी है क्योंकि ये हमारा सौवां नाटक है। इस नाटक के माध्यम से हम अपने क्रांतिकारी शहीदों को सलाम करते हैं, उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। क्रांतिकारियों के विचारों पर आधारित, ऊर्जा और जोश से ओतप्रोत अस्मिता थियेटर का नया नाटक- 'पगड़ी संभाल जट्टा' ।
एक्टर : राहुल खन्ना, देवेंद्र कौर, प्रभाकर पांडे, गुरजीत पाठक, रोहित रोहतांग, शशांक वर्मा, मयंक गर्ग, करण खन्ना , आशीष सेजवाल , शिवम भसीन , विपुल कालरा , मलय चौहान,आलोक मौर्या , नवीन कलीरव्णा , सुनील प्रजापति , रोहित रोहिल्ला, अमित बंसल , कोमल , बबलू गौतम , प्रतीक टांक , सुमित चंद्रा , राहुल मिश्रा , राजेन्द्र ओझा ,दीपक अधिकारी , लदीप कुमार , आरती शर्मा , अमित तिवारी, हर्षित नागपाल, साहिल मुखी और अस्मिता टीम
Quarantine Theatre Festival , Asmita Theatre group