सौभरि ऋषि के श्राप के कारण गरुड़ काली देह पर नहीं जाते थे
@BrajeshYadav-fb2so4 ай бұрын
गरुड़ जी रामनक दीप पर पहले सांपों का भाषण करते थे तो सभी सर्प परेशान होकर ब्रह्मा जी के पास गए तो ब्रह्मा जी ने यह निर्णय किया कि आज से अमावस्या वाले दिन तुम्हें एक सर्प की भेंट दी जाएगी जब यह बात से गढ़ सहमत हो गए तो कुछ समय के बाद एक वृक्ष के नीचे हर अमावस वाले दिन तुम्हें एक सर्प की भेंट दी जाएगी कुछ समय बाद कालिया नाग ने उन सरसों की भेंट खुद खाना प्रारंभ कर दिया और गरुड़ को वह सर्प नहीं मिले जब अमावस वाले दिन सर्प नहीं आए तो घर को यह पता लग गया की कालिया नाग ने हमारा भोजन छीन लिया है और कालिया नाग पर हमला कर दिया जब कालिया नाग को करने के लिए गढ़ गए तो कालिया नाल उनके दर से भाग गया और काली देह में जाकर छुप गया काली देह में काली आना इसलिए आया था क्योंकि एक बार गरुड़ देव मछलियों का भाषण कर रहे थे तभी वहां पर सौभारी ऋषि तपस्या कर रहे थे तो पहले तो पहले सोबार ऋषि ने मना किया कि तुम मछलियों का भाषण करना बंद कर दो तो गरुड़ ने बात मानकर मछलियों की सरदार को पकड़ कर ले जाने लगे तभी सौभरि ऋषि ने उन्हें श्राप दे दिया कि आज के बाद अगर तुम यहां पर मछलियों का भाषण करने आओगे तो तुम जलकर यही भस्म हो जाओगे उसी दिन से गरुड़ देव आते नहीं थे