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भारतीय मिट्टी का वैज्ञानिक वर्गीकरण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा किया है| यह वर्गीकरण सयुक्त राज्य अमेरिका की CSCS योजना पर आधारित है | CSCS योजना के अनुसार मिट्टी का वर्गीकरण का मुख्य आधार मिट्टी के नीचे पायी जाने वाली परतें है |
CSCS योजना केआधार पर ICAR ने राजस्थान की मिट्टी को 5 भागों में बांटा गया |
1-एरिडीसोल्स 2-एंटीसोल्स 3-इन्सेप्टीसोल्स 4 एल्फीसोल्स 5-वर्टीसोल्स
इनकी प्रमुख विशेषताएं
1- एंटीसोल्स मिट्टी का विस्तार राजस्थान में सर्वाधिक है|
2-एंटीसोल्स मिट्टी के नीचे परतों का विकास अभी नहीं हुआ है |
3-एंटीसोल्स मिट्टी शुष्क और अर्द्धशुष्क दोनों तरह की जलवायु में पायी जाती है|
4- एरिडीसोल्स मिट्टी के नीचे केल्सियम कार्बोनेट, जिप्सम, विभिन्न लवण आदि परतों के रूप में पाए जाते है |
5- एरिडीसोल्स मिट्टी न्यून वर्षा वाले क्षेत्रों में पायी जाती है इसीलिए इसका उपयोग कृषि हेतु नहीं हो पाता है लेकिन अगर सिंचाई हेतु जल उपलब्ध हो जाए तो यह मिट्टी बहुत उपजाऊ मिट्टी है इसीलिए इंदिरा गांधी नहर के आने के बाद यहाँ कृषि उत्पादन बहुत अधिक बढ़ गया है |
6-इन्सेप्टीसोल्स मिट्टी के नीचे एक या दो परतों का ही विकास हो पाया है ,इसीलिए इसे एंटीसोल्स मिट्टी की में तुलना में विकसित माना जाता है |
7-इन्सेप्टीसोल्स मिट्टी मिटटी मुख्य रूप से पर्वतीय और घाटियों वाले क्षेत्रों में पायी जाती है|
8- इन्सेप्टीसोल्स मिट्टी कभी भी शुष्क जलवायु में नही पाई जाती है |
9- एल्फिसोल्स मिट्टी के नीचे मिट्टी की परतें माध्यम से लेकर पूर्ण विकसित अवस्था में पायी जाती है|
10-एल्फिसोल्स मिट्टी के नीचे B परत में मृतिका(CLAY) की परत पायी जाती है जो वर्षा के जल नीचे जाने से रोक लेती है इसके कारण B परत के उपर जल का जमाव रहता है जिससे वर्षाकाल की समाप्ति के बाद भी पेड़-पौधों के लिए धरातल के नीचे जल उपलब्ध रहता है|
11-वर्टीसोल्स मिट्टी में मृतिका की मात्रा सर्वाधिक होती है जिसके कारण सूखने पर इस मिट्टी में बड़ी बड़ी दरारें पड जाती है |
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#राजस्थान_की_मिट्टियों_का_वैज्ञानिक_वर्गीकरण
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