Рет қаралды 198,300
श्री एकलिंगजी का मंदिर राजस्थान के उदयपुर ज़िले में कैलाशपुरी में स्थित है|
यह स्थान उदयपुर से 22 किमी की दूरी पर स्थित है|
मेवाड़ महाराणाओ के आराध्य देव एकलिंग जी मेवाड़ के अधिपति कहलाते हैं
और महाराणा उनके दीवान कहलाते हैं। सम्पूर्ण भारत में शायद ही ऐसा कोई
राज्य होगा जहां के राजा शिव भगवान हो। इसी कारण से सभी ताम्र पत्र,
शिलालेख ,पट्टे ,परवानों में दीवान जी आदेशात लिखा गया है।भगवान शिव श्री
एकलिंग महादेव रूप में मेवाड़ राज्य के महाराणाओं तथा अन्य राजपूतो के
प्रमुख आराध्य देव रहे हैं।मान्यता है कि यहाँ में राजा तो उनके प्रतिनिधि मात्र
रूप से शासन किया करते हैं। इसी कारण उदयपुर के महाराणा को दीवाण जी
कहा जाता है।ये राजा किसी भी युद्ध पर जाने से पहले एकलिंग जी की पूजा
अर्चना कर उनसे आशीष अवश्य लिया करते थे।
इस मंदिर में भगवान् शिव एक शिवलिंग में व्यक्त हुए हैं| श्री एकलिंगजी की
मूर्ति के चार मुख हैं, जिन्हें काले संगमरमर से निर्मित किया गया है| मूर्ति के ये
चार मुख पश्चिम, पूर्व, उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर देखते हुए भगवान्
ब्रह्मा, सूर्य, विष्णु और रुद्र का प्रतिनिधित्व करते हैं| इन
चारों मुखों के मध्य श्री एकलिंगजी अथवा शिवलिंग स्थापित है| शिवलिंग बीच
में स्थित है जिनके चारो और देवी पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिक
की मूर्ति है। मंदिर परिसर के अंदर, देवी सरस्वती और देवी यमुना की मूर्तियों को
भी देखा जा सकता है। मुख्य मंदिर का दरवाजा चांदी से बना है जिसके एक
दरवाजे पर गणेश और दुसरे पर कार्तिके का चित्र है जिसे देखकर लगता है कि वे
अपने पिता के रक्षक है। दो टैंक अर्थात् करज कुंड और तुलसी कुंड एकलिंगजी
मंदिर के उत्तर में दिखाई देते है। भगवान के अभिषेक के दौरान इन टैंकों का
पानी का इस्तेमाल किया जाता है। शिवरात्रि के दौरान, भगवान शिव की मूर्ति
को गहनों से सजाया गया है | अम्बा माता और कालका माता को समर्पित छोटे
मंदिर भी मंदिर परिसर में देखे जा सकते हैं। सफ़ेद संगमरमर से निर्मित, 50
फ़ीट उँचा शिखर अत्यंत बारीक कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है| इस मंदिर में
विभिन्न देवताओं के मंदिरों का निर्माण विभिन्न लोगों द्वारा किया गया था|
मंदिर के प्रांगण में गिरधर गोपाल जी का मंदिर भी स्थित है, जिसका निर्माण
महाराणा कुम्भा ने करवाया था|
#RanaKumbha
#Ekling
#ShivMandir