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सद्गुरु बाबर और राम की विरासत की तुलना कर रहे हैं, और समझा रहे हैं कि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मुद्दे से पैदा हुए संघर्ष से परे जाने के लिए भारत को क्या करने की जरूरत है। #AyodhyaVerdict
English video: • Ayodhya Dispute: Compa...
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Transcript:
बाबर की विरासत को इस देश से पूरी तरह से मिटा देना चाहिए।
किसी को भी आज के मुस्लिमों की पहचान को इस इंसान से जोड़ने का गुनाह नहीं करना चाहिए।
क्योंकि ये किसी भी तरह से एक सच्चा मुसलमान नहीं है।
श्री राम ने कभी, ये दावा नही किया कि वे हिन्दू हैं,
लेकिन आज वे इस देश में एक आइकॉन हैं, क्योंकि उनकी वजह से सही तरह के गुण फैल रहे हैं, जो दुनिया में महान सभ्यताएं बनाने के लिए जरुरी हैं।
प्रश्न - राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दे पर आपके क्या विचार हैं? साम्प्रदायिक तनाव को ख़त्म करने और फैसला आने के बाद आगे बढ़ने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
सद्गुरु - इस पूरे मुद्दे के दो अलग-अलग आयामों को समझना, और कोई निर्णय लेने से पहले सावधान होना इसलिये जरुरी है... क्योंकि राम छह हज़ार से ज्यादा साल पहले हुए थे। उन्होंने क्या किया और क्या नहीं किया, दक्षिण भारत में इस पर काफी चर्चा होती है, उत्तर भारत में इन चीज़ों पर चर्चा नहीं होती, वे बस उनकी पूजा करते हैं। दक्षिण भारत उन पर कुछ चर्चाएँ करता है। लेकिन छह हज़ार साल पुराना आइकॉन, जिन्होंने लोगों को पवित्रता की दिशा में, सच्चाई की दिशा में, और आपस में करुणा रखने की दिशा में प्रेरित किया है - वो भी हज़ारों पीढ़ियों को। आपको, इस आइकॉन से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। इससे फर्क नहीं पड़ता कि ऐतिहासिक रूप से, क्या सही है और क्या गलत - क्योंकि वास्तविकता तो कोई भी नहीं जानता।
हर कोई बस वही सामान्य कहानी जानता है कि वे कहाँ गए, क्या हुआ, उनके जीवन में क्या घटनाएं हुई थीं। उन्होंने क्या किया? उन्होंने ऐसा क्यों किया? आप इसका विश्लेषण नहीं कर सकते आप उनके मनोरोग चिकित्सक नहीं हैं। मैं यूथ एंड ट्रुथ अभियान के किसी कार्यक्रम में था और कोई कह रहा था - “उनमें असुरक्षा का भाव था”।
मैंने कहा - “आप उनके मनोरोग चिकित्सक नहीं हैं, छह हज़ार साल पहले वो इंसान सुरक्षित था या असुरक्षित आपको कैसे पता? ये बकवास है।”
लेकिन वे एक आइकॉन हैं, जिन्होंने पीढ़ियों तक लाखों लोगों को प्रेरित किया है। आपको उससे छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मानवता को ऐसे आइकॉन की जरूरत है। आप राम को ले सकते हैं, कृष्ण को ले सकते हैं, जीसस को ले सकते हैं, बुद्ध को ले सकते हैं, और उनकी कमियाँ निकाल सकते हैं, और आज कह सकते हैं देखिये इन्होंने ये किया, ये ठीक नहीं था, वो ठीक नहीं था, वे जातिवाद करते थे, ये ऐसे थे, और वे वैसे.. ये बकवास है। ऐसी चर्चा उनके बारे में उचित है, जो आज दुनिया में मौजूद हैं। वे छह हज़ार साल पहले थे, आप उन पर अब फैसले सुनाना चाहते हैं? नहीं वे मानवता की मदद कर रहे हैं, एक आइकॉन के रूप में। आपको इस आइकॉन से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। वे किस बात के आइकॉन हैं? वे स्थिरता के आइकॉन हैं, वे जल्दबाजी में कदम नहीं उठाते। जब कदम उठाना होता है, तो वे निर्णायक कदम उठाते हैं, लेकिन किसी बात पर प्रतिक्रिया नहीं देते। वे सचेतन होकर काम करते हैं। युद्ध हो तो वे युद्ध करेंगे, और समर्पण करना हो, तो समर्पण। राज्य छोड़ना हो, तो राज्य छोड़ देंगे, लेकिन सबकुछ चेतनता में, और संतुलित तरीके से। इसी वजह से आज हम उनकी पूजा करते हैं।
क्योंकि उनमें आज़ादी है, जीवन के नाटक से गुजरने की, उनके जीवन में हद से ज्यादा नाटक है। लेकिन वे उससे सहजता से गुज़रते हैं, वो भी बिना किसी प्रतिक्रिया के। वे बिना किसी के प्रति क्रोध की भावना के उस नाटक से गुज़रते हैं। जब उन्होंने रावण को मारा, जिसने उनकी पत्नी को चुराया था और तबाही मचाई थी, वे उसकी भी मृत्यु पर पश्चाताप करते हैं। कि मुझे ऐसा करना पड़ा। वे इस तरह के इंसान हैं - आप उनसे छेड़छाड़ मत कीजिए। अगर ये कहानी भी है, तो कहानी के भी साथ छेड़छाड़ मत कीजिए। भौगोलिक दृष्टि से क्या वे अयोध्या में पैदा हुए थे? हाँ। क्या वे इस बिंदु पर पैदा हुए थे? पर.. क्या आप खुद जानते हैं कि आप किस बिंदु पर पैदा हुए थे? हेल्लो?
छह हज़ार साल पुराने इंसान की बात भूल जाइए, आप तो अभी जिन्दा हैं। क्या आप जानते हैं आपकी माँ ने आपको ठीक किस बिंदु पर जन्म दिया था? मैं पूछ रहा हूँ, क्या कोई जानता है? नहीं। तो ये हास्यास्पद तर्क है। अब बाबर। बाबर चंगेज़ खान के बाद की तीसरी पीढ़ी के हैं। ये मंगोल साम्राज्य - मंगोल शब्द भारत में धीरे-धीरे मुग़ल बना गाया।