Рет қаралды 180
श्रीमद्भागवत गीता जी का द्वितीय अध्याय आत्मतत्व या आत्मज्ञान पर आधारित है जो तत्व ज्ञान रुपी सारतत्व की बात करता है यहाँ भगवान् श्रीकृष्ण अर्जुन को तत्व ज्ञान का उपदेश कर रहे हैं तत्वदर्शी महापुरुष ही ब्रह्म तक सरलता से पहुंच सकता है तत्व दर्शी महापुरुष तीर्थ के सदृश है
#श्रीमद्भागवत गीता
#आचार्य गौरव व्यास
#हिन्दू राष्ट्र