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🙏🌹 *परम पूज्य श्री माताजी की दिव्य वाणी*🌹🙏
ये सूक्ष्म विचार हमारे अंदर जागृत हो गया है कि हमने अभी तक यथार्थ को पाया नहीं, हमने अभी तक असलियत को पाया नहीं, कोई न कोई ऐसी चीज है जिसके पीछे हम भागते हैं, उसमें सत्य नहीं है और इस प्रकार मनुष्य कहाँ से कहाँ भटक जाता है।
बहुत से लोग लेकिन इस कलजुग में परिवर्तित हो जायेंगे क्योंकि ये परिवर्तन का समय है, इस समय में परिवर्तन होगा ही, आप चाहें या न चाहें किन्तु चाहने पे इस परिवर्तन की जो सूक्ष्मता है, उसे आप पकड़ लेंगे।
एक दूसरे की स्पर्धा करना या जलना, ये सहजयोग में हो ही नहीं सकता, अगर आपको ये सब हो रहा है तो ये समझ लीजिये कि अभी आप सहजयोग के दर - किनारे भी नहीं हैं।
*"आपके अंदर वो आत्मबल है जिसके बलबूते पर आप ये जो तनाव, ये जो झगड़े, जो आफतें आज अपने देश में हैं, उन्हें पूरी तरह से आप ठीक कर सकते हैं।"*🙏🌹
श्री राजलक्ष्मी पूजा
7 दिसम्बर 1996
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