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श्रीदत्तात्रेयानंदनाथ जी (सीताराम कविराज) ने सन 1993 ई0 में श्रीविद्या मंत्रयोग द्वारा भगवती पराम्बा ललितामहात्रिपुरसुन्दरी की उपासना तथा श्रीविद्या परम्परा के संरक्षण, संवर्धन एवम प्रसार के लिए संस्थापित की गई है। भारतवर्ष में अपने प्रकार की अद्वितीय यह संस्था स्वामी करपात्री जी महाराज के द्वारा उत्तर भारत में पुनर्जीवित की गई इस परंपरा को अग्रसर करने के लिए प्रतिश्रुत है।