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उत्तराखंड का होमस्टे गांव
रैथल उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 42 किमी की दूरी पर स्थित है।उत्तरकाशी से भटवाडी करीब 32 किमी और फिर भडवाडी से रैथल 10 किमी की दूरी पर स्थित है।इस गांव में दयारा बुग्याल में ट्रैकिग 1980 के दौर से शुरु हो गई थी।गांव के स्व चन्दन सिंह राणा ने दयारा बुग्याल को विश्व के मानचित्र पर लाने के लिए अथक प्रयास किए।उन्हें के प्रयासों से दयारा में हर साल बटर फेस्टिवल का आयोजन किया जाने लगा जिसमें स्थानीय लोग दूध,दही,मक्खन की होली खेलते है और दयारा बुग्लाय की पूजा अर्चना करते है।पहले इस गांव में रात्रि विश्राम के लिए केवल जीएमवीएन का गेस्ट हुआ करता था लेकिन आज इस गांव में 18 होमस्टे खुल चुके है।पारंपरिक पर्वतीय शैली में मिट्टी,पत्थर और लकडी के मकानों में देश विदेश के सैलानी होमस्टे का लुफ्त उठाते है।स्थानीय व्यंजन और लोकसंस्कृति की झलक भी दिखाई देती है।
खतरे की जद में रैथल गांव
भटवाडी ब्लाक में स्थित इस गांव पर कुदरत का कहर कभी भी टूट सकता है।दरअसल रैथल गांव के भीतर भूगर्भीय हलचल तेजी से हो रही है।भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील यह गांव हर साल खिसक रहा है।वाडिया हिमालयन भू विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक लगातार इस गांव का अध्ययन कर रहे है।भारतीय और यूरेशियाई प्लेट के टकराव के लिए हिमालय हर साल उत्तर की तरफ खिसक रहा है लेकिन रैथल गांव पूरब की तरफ खिसक रहा है जिससे इस गांव के नीचे से लगातार भूस्खलन होता जा रहा है।जिस तेजी से गांव पूरब दिशा में खिसक रहा है वो दिन दूर नही जब पूरा गांव भागीरथी नदी में समा जाएगा।2011 में भटवाडी कस्बा में बडा भूस्खलन के बाद दर्जनों दूकाने नदी में समा गई थी।इस पूरे इलाके में करीब 10 किमी सडक भी धंस रही है।ग्रामीण बताते है 1991 के भूकंप के बाद दयारा बुग्याल से लेकर भागीरथी नदी तक जमीन के अन्दर कई हलचल हो रही है।गांव के कई पानी के स्रोत जमीन के अन्दर समा चुके है।इस पूरे इलाके में पहाड के भीतर पानी की मात्रा भी अधिक है।रैथल गांव के ऊपर घना जंगल है।पूरा गांव एक विशालकाय शिला के ऊपर बसा है।
Gartang Gali bridge, on an ancient trade route to Tibet, is believed to have been built by Peshawar Pathans. It was damaged over the years after it fell into disuse following the Indo-China war in 1962 when it was declared off-limits.
The historic over 150-year-old Gartang Gali wooden bridge located at a height of 11,000 feet in Nelong Valley in Uttarakhand’s Uttarkashi district near the Indo-China border reopened for tourists after 59 years on Wednesday following renovation.
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