जिदंगी की कड़ी कुछ ऐसा हो अनमोल हो, जिसका मोल कोई चुका ना सके। सदियों बीत जाती है, फिर भी यादे छोड़ जाती है। वो मतलबी मोहब्बत की निशानी देकर चली गई मेरे आखों में पानी देकर। राझां ने हिर से कहा, वो आसमां पे रहने वाले जमी पर उतर के आ। दो दिल बनाया तो दिल में दर्द क्यों बनाया वो आसमां पे रहने वाले जमी पर उतर के आ। लेखक: सुबोध कुमार सावन💔