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श्री गुरु रविदास जी अपने वचन 'जन्म जात मत पूछिए का जात अरु पात, रविदास पूत सभ प्रभ के कोउ नहिं जात कुजात के द्वारा बता रहे हैं कि जब हम सभी एक पिता की संतान हैं तो कोई जाति, कुजात कि परस्पर हीन कैसे हो सकती है। अफसोस कर रहे हैं कि किसी की जन्म-जात पूछकर, किसलिए आपस में जात-पांत का फर्क हो, क्यूँ कर भेदभाव!🙏