बिल्कुल सही बना लेकिन असामाजिक तत्वों को हजम नहीं हो रहा है वो लोग रवसा को जाति के नजरिए से देखते हैं उनको यह केसे समझाए जाति कोई भी हो नियत साफ़ होनी चाहिए रविन्द्र सीहजी से जब मुलाकात होती है तब यह लगता है जैसे कोई हमारा भाई है दिल को सुकून मिलता है