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जैन धर्म के अनुसार उबाला हुआ पानी पीने के पीछे का तार्किक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण !
आखिर जैन धर्म के अनुसार पक्का पानी (Boiled Water) ही क्यों पीना चाहिए?
जैन साधु साध्वीजी भगवंत उबाला हुआ पानी ही क्यों पीते हैं? तपस्या आदि में पक्का पानी (उबाला हुआ पानी) ही पीने का विधान जैन धर्म में क्यों आता है?
जैन धर्म में तो अहिंसा बड़ा सिद्धांत माना गया है और पानी उबालने का विधान आता है, कच्चा पानी पीएंगे तो उल्टा उसमें हिंसा कम होगी क्योंकि सिर्फ पानी में रहे सूक्ष्म जीवों की हिंसा होगी जबकि पानी उबालने में तो अग्नि के जीवों की भी तो हिंसा होती है फिर क्यों जैन धर्म में ऐसा कहा गया है?
यह Confusion कई लोगों के मन में काफी समय से हैं आइए इस Confusion का Solution जानने का प्रयास करते हैं ! यह पूरी प्रस्तुति सम्पूर्ण Focus के साथ देखेंगे तो अवश्य समझ में आएगा कि जैन धर्म में पक्का पानी ही पीने को क्यों कहा गया है !
जय जिनशासन
जय महावीर
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