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विश्राम करो माँ
मुझे पता है कि तुमने मेरा हाथ थामा था,
जब तुमने मुझे इस दुनिया में लाया था,
अपनी दृष्टि से तुमने मुझे चकित कर दिया,
मैंने देखे सौ-सौ अद्भुत दृश्य,
तुम्हारी बनाई इस दुनिया में कितने-कितने चमत्कार,
जब मैं रेंगता था,
तुमने मुझे गोद में उठा लिया था,
और मुझे दौड़ने को कहा था,
उसके बाद मैं कभी रुक नहीं पाया माँ,
सबकी तरह तुम्हारी आग भी मेरे सीने में जलती है,
फिर भी क्यों कभी-कभी भूल जाता हूँ,
फिर भी मैं जानता हूँ कि तुम्हारी तरह मैं भी प्यार कर सकता हूँ,
मेरे भीतर भी है तुम्हारी दी हुई वाणी,
तुमने मुझे जन्म दिया बोलने के लिए,
खुद को खुद जानने की कोशिश की,
तुम्हारी इच्छा मेरे भीतर जलती रहे,
बहुत किया है तुमने, थोड़ा विश्राम करो माँ,
बच्चे थोड़ा संभालें तो क्या,
तुम्हारे काम को दिल से लगाएं, सब मिलकर सम्हालें,
मुझे थोड़ा और मजबूत कर दो,
पुराने ख्याल मन से चले जाएं,
बुरी बातों की परवाह ना करें,
मेरे लिए थोड़ी सेवा लो ना माँ,
मैं जानता हूँ कि तुम मेरे पास ही हो,
सबके बीच तुम ही हो मेरे जीवन का संबल।
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