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कमज़ोर बेकार सुस्त और लाचार स्क्रीनप्ले को नए पुराने कोई भी कलाकार बचा नहीं पाए और फिल्म खुद क़े आईडिया की बलि चढ़ गयीं है जो आईडिया और स्टोरी लाइन फिल्म की ताकत और मजबूती बन सकता था उसी आईडिया ने फिल्म की बैंड बजा दी है और पूरी फिल्म आखिर तक झेलना भी मुश्किल हो गया। लम्बे समय क़े बाद पूनम ढिल्लों की वापसी, सुप्रिया पाठक की मंझी अदाकारी सिर्फ झगडालू पड़ोसियों की बेतरतीब कहानी बन गयीं है और सनी सिंह जैसे बेहतरीन एक्टर जो पति पत्नी और वो क़े छोटे से किरदार में कमाल कर गए थे। पूरी फिल्म में सेंट्रल करैक्टर प्रोटागोनिस्ट यानी हीरो बन कर भी बेकार हो गए है और सोनाली क़े साथ उनकी रोमांटिक कॉमेडी देख रोमांस या कॉमेडी, किसी का भी एहसास नहीं होता और कुछ गानो और सीन्स को छोड़ पूरी फिल्म पर देखना भी मुश्किल लगता है