सालासर मंदिर की असली कहानी व दर्शन और अंजनी माता मंदिर // Saalasar Temple Churu, History & Vlog

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Treepie Pahadi

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Күн бұрын

सालासर बालाजी मंदिर की कहानी व दर्शन // Saalasar Temple Churu, History & Vlog
सालासर धाम ,चुरू बालाजी मंदिर व बाबा मोहनदास जी महाराज से जुड़ी कथा को विस्तार से बताया गया है साथ ही बालाजी की मूर्ति प्रकट होने की घटना व मूर्ति स्थापित होने की कहानी बताई गई है ! ! पवित्र सालासर के सिद्ध धाम पर सालभर में लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं तो जानीए सालासर बालाजी धाम की सम्पूर्ण कथा व इतिहास!!
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सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चुरू जिले से सुजानगढ़ क्षेत्र में हैं। संभवत : यह देश का अकेला ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की प्रतिमा ढाढ़ी- मूंछ में हैं। ढाढ़ी- मूंछ में यहां भगवान की मूर्ति होने के पीछे एक खास और रोचक कहानी है। बताया जाता है कि एक संत मोहन दास महाराज अपनी बहन कान्ही बाई के घर भोजन कर रहे थे। इसी दौरान बालाजी (हनुमान जी) ने उन्हें साधु के वेश में दर्शन दिए। इसके बाद मोहन दास महाराज ने बालाजी को दाढ़ी-मूंछ में देखा तो उन्होंने दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी की प्रतिमा का ही शृंगार किया। यही मूर्ति अब सालासर मंदिर में विराजमान हैं।
सालासर धाम की स्थापना करीब 268 साल पहले हुई थी। संत मोहन दासजी महाराज ने बालाजी के चढ़ावे में आए पांच रुपए से मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर बनाने के पीछे का मकसद भी श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। संवत 1811 श्रावण शुक्ला नवमी शनिवार के दिन बालाजी महाराज की मूर्ति स्थापित हुई थी। इसके बाद में संत मोहन दासजी ने फतेहपुर के नूर मोहम्मद और दाऊ नामक कारीगरों को मंदिर निर्माण के लिए बुलाया। सम्वत् 1815 में निर्माण पूरा हुआ। वर्तमान में मंदिर परिसर लंबे-चौड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है और सभी सुविधाएं भी हैं। देशभर में सालासर धाम अलग पहचान रखता है। कई राज्यों से यहां श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने आते हैं।
सालासर बालाजी धाम में नारियल चढ़ावे में खास तौर से रखा जाता है। माना जाता है कि भगवान नारियल के भेंट स्वीकार कर लोगों की मनोकामना पूरी करते हैं। हर साल करीब 25 लाख नारियल मंदिर में चढ़ाए जाते हैं। खास बात यह भी है कि यहां मनौती के इन नारियलों का दोबारा उपयोग में नहीं लिया जाता है। उन्हें खेत में गड्‌ढा खोदकर दबा दिया जाता हैं।
यहां करीब करीब 200 सालों से श्रद्धालु मंदिर परिसर में ही लगे खेजड़ी के एक पेड़ पर लाल कपड़े में नारियल बांधकर जाते हैं । इन नारियलों को फेंका नहीं जाता है। ना ही जलाया जाता है और ना ही कोई अन्य उपयोग होता है। इसके पीछे भी एक रोचक कथा है। नारियलों को सालासर बालाजी मंदिर से करीब 11 किलोमीटर दूर मुरड़ाकिया गांव के पास करीब 250 बीघा खेत में गड्ढा करके दबा दिया जाता है। यशोदा नंदन पुजारी ने बताया कि शुरुआती दिनों में इन नारियलों को धूने की ज्योत में डालकर जला दिया जाता था। लेकिन तीसरी पीढ़ी के पुजारी परिवार के मुखिया को एक सपना आया।
इस सपने में पुजारी ने देखा कि नारियलों के साथ भक्तों की मनोकामनाएं भी जल रही हैं। पुजारी ने अपने परिवारजनों को इकट्ठा कर यह बात बताई। इसके बाद मन्नतों के इन नारियलों को सुरक्षित रखने का फैसला किया गया।
हनुमान जन्मोत्सव पर चैत्र पूर्णिमा के तीन दिवसीय मेले में आयोजन किया गया है। तीन लाख से ज्यादा लोग बालाजी के दर्शन करेंगे। मेले के दौरान मंदिर रोज 19 घंटे खुला रहेगा। पुजारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए मेले के दौरान मंगलवार को रात तीन बजे पट खोले गए।
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@ssbbisht9381
@ssbbisht9381 7 ай бұрын
Nyc❤❤
@saritabhakuni3384
@saritabhakuni3384 7 ай бұрын
Very nice 👌
@sunrisenainital
@sunrisenainital 7 ай бұрын
Jai Shree Ram ❤🎉
@premabishtsunrisevlog2527
@premabishtsunrisevlog2527 7 ай бұрын
Jai shree Ram 🙏
@poojasentertainment2011
@poojasentertainment2011 7 ай бұрын
Bahut Sundar bhai ❤❤❤❤❤
Фейковый воришка 😂
00:51
КАРЕНА МАКАРЕНА
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escape in roblox in real life
00:13
Kan Andrey
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Фейковый воришка 😂
00:51
КАРЕНА МАКАРЕНА
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