साथ जी हद बेहद के परमधाम में

  Рет қаралды 23,559

Nijdham

Nijdham

Күн бұрын

Пікірлер: 59
@sandeepks711
@sandeepks711 3 жыл бұрын
बेहद के बेहद की परम परम परम महा शांति है महा शांति है महा शांति है 🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Жыл бұрын
🙏आइये क्षर पुरुष का सूक्ष्म दिग्दर्शन करे। प्रथम मायाशक्ति से उतपन्न चौदह लोक का वर्णन ,पाताल से लेकर आदिनारायण तथा महाशून्य तक संक्षेप में विस्तार देखे 🙏 kzbin.info/www/bejne/b3PJm6OlmblleJo
@RajKumar-is9ql
@RajKumar-is9ql Жыл бұрын
परमधाम का वर्णन बहुत अच्छा है आप लोग
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Жыл бұрын
pranamji
@kalpanadhakal3996
@kalpanadhakal3996 Жыл бұрын
महामती प्राणनाथ जि नि देखाए हुये ईश बिराट दर्सन को कोइ शास्त्र मे भि बर्नन नहि किया गया है. लेकिन इसरा किया है...... प्रणाम जि
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Жыл бұрын
pranamji hanji
@Nikunj146
@Nikunj146 Жыл бұрын
प्रणाम जी
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Жыл бұрын
prem pranamji
@saradakarki4049
@saradakarki4049 5 ай бұрын
Prem pranam ji 🙏
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 2 ай бұрын
Prem pranam ji
@RakeshSoteria
@RakeshSoteria Ай бұрын
Pranam ji❤❤❤❤
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 18 күн бұрын
Prem pranam ji
@hitenbt
@hitenbt 4 ай бұрын
Sab dhamo ke par akshar dham hai .jaha ansnt koti mukt aur swagam Akshar parabrahma purshottam ki upasna n seva me tatpar rehte hai...iska pranam brahandharnya upanishad n kathopanishd me varnan hai. Yagnavalkya aur gargi ji ke samvad me bhi is ka varnan aata hai .
@readytohelp30
@readytohelp30 3 жыл бұрын
Jay Shri Krishna
@ashutoshkafle555
@ashutoshkafle555 2 жыл бұрын
सबसे ऊपर विराजमान श्री गोलोक धाम है। श्रीब्रह्माजी देवीधामके अन्तर्गत ब्रह्मलोक या सत्यलोकसे ऊपरकी ओर देखकर ही पहले देवीधाम और तदनन्तर क्रमशः महेश आदि धामोंमें विराजित भगवन्महिमा ओंका वर्णन कर रहे हैं। पहले देवीधाम अर्थात् यह जड़ जगत है, इसके अन्तर्गत - भूः, भूवः, स्वः, महः, जनः, तपः और सत्य - ये सात ऊपरके लोक है एवं अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, महातल और पाताल - ये सात नीचेके लोक हैं। अतः देवीधामके अन्तर्गत उक्त चौदह लोक हैं । इस देवीधामके ऊपर शिवधाम है, उस धामका एक भाग अन्धकारमय तथा दूसरा भाग प्रकाशमय है। उसमेंसे वह अन्धकारमय लोक महाकाल-धाम नामसे और प्रकाशमय-धाम सदाशिव लोक नामसे प्रसिद्ध है। उसके ऊपरमें हरिधाम या चित्-जगत वैकुण्ठ लोक अवस्थित है। देवी धाममें मायाका वैभवरूप प्रभाव एवं शिवधाममें काल और द्रव्यमय वैभवरूप व्यूह-प्रभाव तथा विभिन्नांशगत स्वांश - आभासमय प्रभाव हैं। किन्तु हरिधाम - वैकुण्ठमें चिद् ऐश्वर्यमय प्रभाव है। इसी प्रकार गोलोकमें सर्वैश्वर्यका निराशकारी महामाधुर्यमय प्रभाव है। ऐसे-ऐसे प्रभाव समूहका नियमन उन-उन धामोंमें जिन्होंने साक्षात् और गौणरूपसे किया है, वे आदिपुरुष गोविन्द देव हैं ॥४३॥ #Brahma_Sahitaa श्लोक 43/44 आथात: गोलोके उपर कोहि धाम नहि हे तुम चाहे परमधाम कहो, ब्रज धाम कहो, गोलोक धाम कहो, वृन्दाबन धाम कहो , कृष्ण धाम कहो, गोलोका वृन्दाबन कहो , गोविन्द धाम कहो सब एक हि हे ।। गिता मे भगवान केहेते हे ।। न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः। यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते उस स्वयं प्रकाश परम पद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा और न अग्नि ही, वही मेरा परम धाम ('परम धाम' का अर्थ गीता अध्याय 8 श्लोक 21 में देखना चाहिए।) है अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमाहुः परमां गतिम्। यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ जो अव्यक्त 'अक्षर' इस नाम से कहा गया है, उसी अक्षर नामक अव्यक्त भाव को परमगति कहते हैं तथा जिस सनातन अव्यक्त भाव को प्राप्त होकर मनुष्य वापस नहीं आते, वह मेरा परम धाम है #Bhagwat_geeta श्री कृष्ण प्रनामी जो ए गोलोक के उपर परमधाम बताते हे येसा बेद से लेकर गीता तक किसि ग्रन्थ मे बर्णन नहि हे आर्थात गोलोक और परमधाम ब्रज धाम वृन्दाबन धाम सब एक हि हे ।। proof: Vedas, upanisadh,brahma sahita, shreemad bhagbatam, bhagwat geetaa सबमे सबसे उपर गोलोक हि बताया गया हे ....
@manuvats3146
@manuvats3146 2 жыл бұрын
Bahut sundar .bataya .waha
@rakesh6897
@rakesh6897 2 жыл бұрын
Krishna bhakt kahega Golokh sabse upar, Ram ke bhakt Saket dham, Shiv ke bhakt Kailash aur Narayan ke bhakt Baikutha ko srest bolta hain. Akhir tumlog sabit kya karna chahte ho? Aisa karne se jo log Bhakti ke marg par chal raha hain; unka biswas tumlog kam kar rahe ho. Tumlog logoko Gumrah kar rahe ho. Ye sab karna band karo. Isiliye log Hindu dharm ko chor kar dusre dharm me jaa rahe hain. Om Shiv
@riteshthakur745
@riteshthakur745 3 жыл бұрын
राधे🙏 राधे
@shashankmishra4435
@shashankmishra4435 3 жыл бұрын
Mojsk
@additionalartdesign545
@additionalartdesign545 3 жыл бұрын
iss pic ko download kahan se karun ? kaun si book ka h ye?
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 3 жыл бұрын
apna mail address de dijiy me sent kr dungi
@cosmicking2772
@cosmicking2772 2 жыл бұрын
@@nijdhamparamadham काल निरंजन के स्थूल शरीर में कौन रहता हैं किसका स्थान हैं
@cosmicking2772
@cosmicking2772 2 жыл бұрын
@@nijdhamparamadham ज्योती स्वरूप के साथ 5 शक्तीयाँ कौंसी हैं उर्ध्वा मध्यमा
@socalistindian8482
@socalistindian8482 4 жыл бұрын
Kya ham param dham ja sakte hai
@rajwatimarko1524
@rajwatimarko1524 3 жыл бұрын
Ha ja sakte h lekin apne karm ke anusar.... pranam ji 🙏
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 3 жыл бұрын
बेशक जा सकते है । पेहले परमधाम को ओर खुद को जान लो । पेहचान कर उसी राह पर चलकर जरूर जा सकते है । परमधाम का मार्ग आत्मिक मार्ग है । हमारी आतम जरूर जा सकती है ।
@krishnakripa1
@krishnakripa1 5 жыл бұрын
paramdham hum kaise ja sakte hi
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 5 жыл бұрын
परमधाम से आत्मा आई है और आत्मा का मूल स्थान वही है । वहा सिर्फ आत्मा ही जा सकती है । जीव नही जा सकता । मगर जीव इसका प्रेम रस इस ब्रम्हांड में बैठकर ले सकता है और इस अखण्ड की पेहचान एवं चितवन कर के नित्य अखण्ड मुक्ति पा सकता । उसके लिए उस परमसत्य को जानना समझना पड़ेगा ।
@preetiniceclean9415
@preetiniceclean9415 4 жыл бұрын
By krsnaconsciousnes
@drkalpeshprajapati2717
@drkalpeshprajapati2717 3 жыл бұрын
Jiv or aatma different hai 🤔
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 3 жыл бұрын
@@drkalpeshprajapati2717 हां जी जीव ओर आत्मा दोनो अलग है । जीव कर्म से जन्ममरण के चक्र में फंसा है । जबकी आत्मा द्रष्टा है । वो जन्ममरण के चक्र में कभी नही फंसती ।
@AdityaSingh-gv2eo
@AdityaSingh-gv2eo Жыл бұрын
Kon su puran me likha hai ye sab glt hai proof do kon si puran me likha hai 198
@as3041
@as3041 4 жыл бұрын
Please make clear sounds
@krishnakripa1
@krishnakripa1 5 жыл бұрын
paramdham jaane ke liye kya bhakti sadhna krni padti hi
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 4 жыл бұрын
पेहले जानो पहचानो फिर समझो खुद को की आप कौन हो । बाद में आपका दिल कहे वैसा करो
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 4 жыл бұрын
इसके लिए 9825245937 वोट्सअप नम्बर पर कॉन्टेक्ट कीजिये
@shashankmishra4435
@shashankmishra4435 3 жыл бұрын
Bhagwan hamare saath khelte h 😭😭😭😭😭
@stunningfacts4672
@stunningfacts4672 3 жыл бұрын
शिष्य अपने गुरुदेव से पूछता है - भगवन! आपने बैकुंठ एवं नारायण दोनों को ही नित्य बतलाया है साथ ही उन दोनों को तुरीय तत्व भी कहा है। बैकुंठ लोक एवं भगवान नारायण दोनों ही साकार हैं परंतु तुरीय तत्व निराकार होता है। श्रुति में कहा गया है कि जो साकार है,वह अवश्य नाश को प्राप्त होता है एवम् जो निराकार है ,वह नित्य होता है,इसके साथ ही साकार अवयव सहित है परंतु निराकार अवयव रहित है। सो आपकी बात मैं नहीं समझ पाया कि आपने बैकुंठ धाम एवम् नारायण को नित्य कैसे बताया। इस पर गुरुदेव कहते हैं - आप जो कहते हो ठीक है, परंतु साकार तत्व दो प्रकार का होता है-एक उपाधि सहित साकार तथा दूसरा उपाधि रहित साकार। अब उपाधि सहित जो साकार है उसकी स्थिति निचले पाद में ही होती है,यहां यहां अनंत ब्रह्मांड एवं उस में विद्यमान वस्तुएं तथा जीव सभी उपाधि सहित साकार हैं और जो विनाश को प्राप्त होते हैं। उपाधि रहित , जो साकार है वह तीन प्रकार का होता है १. विद्या उपाधि रहित साकार,२.आंनद उपाधि रहित साकार ,३.तुरीय उपाधि हीन साकार यह तीनों भी दो- २ प्रकार के होते हैं १.नित्य साकार - इस प्रकार के को साकार हैं, इनका ना कोई प्रारंभ है ,न मध्य तथा अंत भी नहीं। यह विग्रह परमेश्वर स्वरूप होते हैं, आनंद एवं अखंड रसमय में होते हैं। २.मुक्त साकार -इस प्रकार के विग्रह वाले जीव उपासना करके मुक्ति पद को प्राप्त हुए होते हैं। इनका यह विग्रह ज्ञान स्वरूप होता है एवं इन्हें विग्रह स्वयं परिपूर्णतम परमेश्वर देते हैं। आगे गुरु से शिष्य फिर पूछता है कि - भगवन ! नारायण से इस आविद्या अंड की उत्पत्ति कैसे हुई। इस पर गुरुदेव कहते हैं की भगवान त्रिपाद विभूति नारायण के पलक उठाने एवम् गिराने से एविद्या पाद में अनेकों ब्रह्मांड की उत्पत्ति , स्थिति एवं लय हो जाते हैं। जब कभी भगवान नारायण अपनी इच्छा से पलक उठाते हैं तो उनके निचले पाद में प्रकृति का प्राकट्य हो जाता है,प्रकृति से जीव व्यक्त होता है, प्रकृति से ही महत् तत्व एवं इससे अहंकार की उत्पत्ति होती है अहंकार से ५ तन्मात्रा एवम् उनसे पांच तत्व उत्पन्न हुए यहां शब्द ,स्पर्श,रूप ,रस गंध तन्मात्रा हैं एवम् पांच तत्व अर्थात आकाश ,वायु,अग्नि,जल तथा धरती। फिर इंद्रिय अधिष्ठाता देवताओं की उत्पत्ति हुई,ज्ञान एवम् कर्म इंद्रियों की उत्पत्ति हुई इन सभी तत्वों ने मिलकर श्री हरि की सहायता से विशाल ब्रह्मांड की सृष्टि की। फिर इस ब्रह्मांड में वही आंनद पाद के मध्य में स्थित श्री नारायण प्रकट होते हैं। श्री नारायण से ही स्थूल शरीर रूप विराट पुरुष की उत्पत्ति हुई उस विराट पुरुष के एक -२ रोमकूप छिद्र से अगणित ब्रह्मांड उत्पन्न होते हैं।यह विराट पुरुष परमेश्वर का विलास विग्रह है ,इसके अनंत सिर , अनंत मुख एवम् अनंत पैर आदि हैं,यह संपूर्ण ब्रह्मांडो को व्याप्त कर स्थित है। जो पुरुष इन परमेश्वर की भक्ति करता है,वह अंधकार से पार मुक्ति लोक को प्राप्त होता है। इसके बाद उन आंनद पाद के मध्य स्थित श्री नारायण का प्रत्येक ब्रह्मांड में एक -२ अवतार होता है। नारायण की नाभि का मंत्र श्री ब्रह्मा जी उत्पन्न होते हैं, नारायण से ही क्षीरसागर वासी विष्णु उत्पन्न होते हैं, भगवान नारायण से रूद्र उत्पन्न होते हैं। नारायण से इंद्र उत्पन्न होते हैं। नारायण से सभी तत्व उत्पन्न होते हैं। एकमात्र भगवान नारायण ही निर्विकल्प, निरंजन ,शुद्ध, मुफ्त सगुण ,निर्गुण एवं अखंड ,परिपूर्ण प्रभु हैं, जो इस प्रकार से जानता है वह मोक्ष लाभ करता है। (Narayan Upnishad)
@nksupremeverse8124
@nksupremeverse8124 4 жыл бұрын
14 लोक का ब्रह्मांड एक सौर मंडल तक सिमटा हैं
@surendrashukla4623
@surendrashukla4623 4 жыл бұрын
Apआप किस धर्म का ज्ञान देते हैं।
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 4 жыл бұрын
एक परम सत्य मानव धर्म का ज्ञान है ये ।
@pavanjoshi9149
@pavanjoshi9149 3 жыл бұрын
Shree Krishna pranami dharm
@bikasholi1025
@bikasholi1025 3 жыл бұрын
@@pavanjoshi9149 कबीर साहेब ‌पूर्ण ब्रह्म हे। कबीर साहेब अछर ब्रह्म के चतुषपाद अभियकृत ब्रह्म के अन्तरगत नहि आते ।कबीर साहेब अभियकृत ब्रह्म से भि परे हेँ।
@bikasholi1025
@bikasholi1025 3 жыл бұрын
@@pallavipandya8568 कबीर साहेब ‌पूर्ण ब्रह्म हे। कबीर साहेब अछर ब्रह्म के चतुषपाद अभियकृत ब्रह्म के अन्तरगत नहि आते ।कबीर साहेब अभियकृत ब्रह्म से भि परे हेँ।
@jigarpatel73372
@jigarpatel73372 2 жыл бұрын
Shree krishna Pranami Dharm .... 🙏Pranam
@shashankmishra4435
@shashankmishra4435 3 жыл бұрын
Konsa lok h avi nashi aur waha kaise jaya ja skta h
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 3 жыл бұрын
ये जो क्षर ब्रम्हांड आप ने देखा उसमे ही 14 लोक आये हुए है । पांच तत्व तीन गुण से बना हुआ यह ब्रम्हांड है । और महाप्रलय यानी आंत्यतिक प्रलय में यह पूरा क्षर ब्रम्हांड विलीन हो जाता है । यानी लय हो जाता है ।
@ashutoshkafle555
@ashutoshkafle555 2 жыл бұрын
सबसे ऊपर विराजमान श्री गोलोक धाम है। श्रीब्रह्माजी देवीधामके अन्तर्गत ब्रह्मलोक या सत्यलोकसे ऊपरकी ओर देखकर ही पहले देवीधाम और तदनन्तर क्रमशः महेश आदि धामोंमें विराजित भगवन्महिमा ओंका वर्णन कर रहे हैं। पहले देवीधाम अर्थात् यह जड़ जगत है, इसके अन्तर्गत - भूः, भूवः, स्वः, महः, जनः, तपः और सत्य - ये सात ऊपरके लोक है एवं अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, महातल और पाताल - ये सात नीचेके लोक हैं। अतः देवीधामके अन्तर्गत उक्त चौदह लोक हैं । इस देवीधामके ऊपर शिवधाम है, उस धामका एक भाग अन्धकारमय तथा दूसरा भाग प्रकाशमय है। उसमेंसे वह अन्धकारमय लोक महाकाल-धाम नामसे और प्रकाशमय-धाम सदाशिव लोक नामसे प्रसिद्ध है। उसके ऊपरमें हरिधाम या चित्-जगत वैकुण्ठ लोक अवस्थित है। देवी धाममें मायाका वैभवरूप प्रभाव एवं शिवधाममें काल और द्रव्यमय वैभवरूप व्यूह-प्रभाव तथा विभिन्नांशगत स्वांश - आभासमय प्रभाव हैं। किन्तु हरिधाम - वैकुण्ठमें चिद् ऐश्वर्यमय प्रभाव है। इसी प्रकार गोलोकमें सर्वैश्वर्यका निराशकारी महामाधुर्यमय प्रभाव है। ऐसे-ऐसे प्रभाव समूहका नियमन उन-उन धामोंमें जिन्होंने साक्षात् और गौणरूपसे किया है, वे आदिपुरुष गोविन्द देव हैं ॥४३॥ #Brahma_Sahitaa श्लोक 43/44 आथात: गोलोके उपर कोहि धाम नहि हे तुम चाहे परमधाम कहो, ब्रज धाम कहो, गोलोक धाम कहो, वृन्दाबन धाम कहो , कृष्ण धाम कहो, गोलोका वृन्दाबन कहो , गोविन्द धाम कहो सब एक हि हे ।। गिता मे भगवान केहेते हे ।। न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः। यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते उस स्वयं प्रकाश परम पद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा और न अग्नि ही, वही मेरा परम धाम ('परम धाम' का अर्थ गीता अध्याय 8 श्लोक 21 में देखना चाहिए।) है अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमाहुः परमां गतिम्। यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ जो अव्यक्त 'अक्षर' इस नाम से कहा गया है, उसी अक्षर नामक अव्यक्त भाव को परमगति कहते हैं तथा जिस सनातन अव्यक्त भाव को प्राप्त होकर मनुष्य वापस नहीं आते, वह मेरा परम धाम है #Bhagwat_geeta श्री कृष्ण प्रनामी जो ए गोलोक के उपर परमधाम बताते हे येसा बेद से लेकर गीता तक किसि ग्रन्थ मे बर्णन नहि हे आर्थात गोलोक और परमधाम ब्रज धाम वृन्दाबन धाम सब एक हि हे ।। proof: Vedas, upanisadh,brahma sahita, shreemad bhagbatam, bhagwat geetaa सबमे सबसे उपर गोलोक हि बताया गया हे ....
@nksupremeverse8124
@nksupremeverse8124 5 жыл бұрын
1. असंख्य क्षर ब्रह्म को किन नामों से जाना जाता हैं 2. क्षर ब्रह्म के अंतर्गत कौन आते हैं 3. अव्याकृत ब्रह्म के मन ज्योती स्वरूप ब्रह्म और कार्य शक्ती सुमंगला शक्ती का वर्णन करें
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 5 жыл бұрын
आगे वीडियो में इन बातों को बताया गया है । उसे देखिए ओर समझिए
@rakesh6897
@rakesh6897 2 жыл бұрын
Krishna bhakt kahega Golokh sabse upar, Ram ke bhakt Saket dham, Shiv ke bhakt Kailash aur Narayan ke bhakt Baikutha ko srest bolta hain. Akhir tumlog sabit kya karna chahte ho? Aisa karne se jo log Bhakti ke marg par chal raha hain; unka biswas tumlog kam kar rahe ho. Tumlog logoko Gumrah kar rahe ho. Ye sab karna band karo. Isiliye log Hindu dharm ko chor kar dusre dharm me jaa rahe hain. Om Shiv
@shaileshchaubey1916
@shaileshchaubey1916 4 жыл бұрын
Wrong information
@Meera9952
@Meera9952 2 жыл бұрын
Nhii ha ji wrong
@jigarpatel73372
@jigarpatel73372 2 жыл бұрын
Bhai wrong information batana hamara dharma nahi he... Hamara swaroop Saheb matlab ki kuljam swaroop me sab kuch likha he... Sab bhagwan devi devta o sabka ullekh bhi he... pranamji 🙏
@ashutoshkafle555
@ashutoshkafle555 2 жыл бұрын
सबसे ऊपर विराजमान श्री गोलोक धाम है। श्रीब्रह्माजी देवीधामके अन्तर्गत ब्रह्मलोक या सत्यलोकसे ऊपरकी ओर देखकर ही पहले देवीधाम और तदनन्तर क्रमशः महेश आदि धामोंमें विराजित भगवन्महिमा ओंका वर्णन कर रहे हैं। पहले देवीधाम अर्थात् यह जड़ जगत है, इसके अन्तर्गत - भूः, भूवः, स्वः, महः, जनः, तपः और सत्य - ये सात ऊपरके लोक है एवं अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, महातल और पाताल - ये सात नीचेके लोक हैं। अतः देवीधामके अन्तर्गत उक्त चौदह लोक हैं । इस देवीधामके ऊपर शिवधाम है, उस धामका एक भाग अन्धकारमय तथा दूसरा भाग प्रकाशमय है। उसमेंसे वह अन्धकारमय लोक महाकाल-धाम नामसे और प्रकाशमय-धाम सदाशिव लोक नामसे प्रसिद्ध है। उसके ऊपरमें हरिधाम या चित्-जगत वैकुण्ठ लोक अवस्थित है। देवी धाममें मायाका वैभवरूप प्रभाव एवं शिवधाममें काल और द्रव्यमय वैभवरूप व्यूह-प्रभाव तथा विभिन्नांशगत स्वांश - आभासमय प्रभाव हैं। किन्तु हरिधाम - वैकुण्ठमें चिद् ऐश्वर्यमय प्रभाव है। इसी प्रकार गोलोकमें सर्वैश्वर्यका निराशकारी महामाधुर्यमय प्रभाव है। ऐसे-ऐसे प्रभाव समूहका नियमन उन-उन धामोंमें जिन्होंने साक्षात् और गौणरूपसे किया है, वे आदिपुरुष गोविन्द देव हैं ॥४३॥ #Brahma_Sahitaa श्लोक 43/44 आथात: गोलोके उपर कोहि धाम नहि हे तुम चाहे परमधाम कहो, ब्रज धाम कहो, गोलोक धाम कहो, वृन्दाबन धाम कहो , कृष्ण धाम कहो, गोलोका वृन्दाबन कहो , गोविन्द धाम कहो सब एक हि हे ।। गिता मे भगवान केहेते हे ।। न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः। यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते उस स्वयं प्रकाश परम पद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा और न अग्नि ही, वही मेरा परम धाम ('परम धाम' का अर्थ गीता अध्याय 8 श्लोक 21 में देखना चाहिए।) है अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमाहुः परमां गतिम्। यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ जो अव्यक्त 'अक्षर' इस नाम से कहा गया है, उसी अक्षर नामक अव्यक्त भाव को परमगति कहते हैं तथा जिस सनातन अव्यक्त भाव को प्राप्त होकर मनुष्य वापस नहीं आते, वह मेरा परम धाम है #Bhagwat_geeta श्री कृष्ण प्रनामी जो ए गोलोक के उपर परमधाम बताते हे येसा बेद से लेकर गीता तक किसि ग्रन्थ मे बर्णन नहि हे आर्थात गोलोक और परमधाम ब्रज धाम वृन्दाबन धाम सब एक हि हे ।। proof: Vedas, upanisadh,brahma sahita, shreemad bhagbatam, bhagwat geetaa सबमे सबसे उपर गोलोक हि बताया गया हे ....
@subtv1043
@subtv1043 4 жыл бұрын
वकवास
@jigarpatel73372
@jigarpatel73372 2 жыл бұрын
Bakwas bolkar kyu apne aap ko paap me dal rahe ho... Kuch samajne ki shakti na ho to kisi ko bhi jutha sabit nahi kar sakte
@ashutoshkafle555
@ashutoshkafle555 2 жыл бұрын
सबसे ऊपर विराजमान श्री गोलोक धाम है। श्रीब्रह्माजी देवीधामके अन्तर्गत ब्रह्मलोक या सत्यलोकसे ऊपरकी ओर देखकर ही पहले देवीधाम और तदनन्तर क्रमशः महेश आदि धामोंमें विराजित भगवन्महिमा ओंका वर्णन कर रहे हैं। पहले देवीधाम अर्थात् यह जड़ जगत है, इसके अन्तर्गत - भूः, भूवः, स्वः, महः, जनः, तपः और सत्य - ये सात ऊपरके लोक है एवं अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, महातल और पाताल - ये सात नीचेके लोक हैं। अतः देवीधामके अन्तर्गत उक्त चौदह लोक हैं । इस देवीधामके ऊपर शिवधाम है, उस धामका एक भाग अन्धकारमय तथा दूसरा भाग प्रकाशमय है। उसमेंसे वह अन्धकारमय लोक महाकाल-धाम नामसे और प्रकाशमय-धाम सदाशिव लोक नामसे प्रसिद्ध है। उसके ऊपरमें हरिधाम या चित्-जगत वैकुण्ठ लोक अवस्थित है। देवी धाममें मायाका वैभवरूप प्रभाव एवं शिवधाममें काल और द्रव्यमय वैभवरूप व्यूह-प्रभाव तथा विभिन्नांशगत स्वांश - आभासमय प्रभाव हैं। किन्तु हरिधाम - वैकुण्ठमें चिद् ऐश्वर्यमय प्रभाव है। इसी प्रकार गोलोकमें सर्वैश्वर्यका निराशकारी महामाधुर्यमय प्रभाव है। ऐसे-ऐसे प्रभाव समूहका नियमन उन-उन धामोंमें जिन्होंने साक्षात् और गौणरूपसे किया है, वे आदिपुरुष गोविन्द देव हैं ॥४३॥ #Brahma_Sahitaa श्लोक 43/44 आथात: गोलोके उपर कोहि धाम नहि हे तुम चाहे परमधाम कहो, ब्रज धाम कहो, गोलोक धाम कहो, वृन्दाबन धाम कहो , कृष्ण धाम कहो, गोलोका वृन्दाबन कहो , गोविन्द धाम कहो सब एक हि हे ।। गिता मे भगवान केहेते हे ।। न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः। यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते उस स्वयं प्रकाश परम पद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा और न अग्नि ही, वही मेरा परम धाम ('परम धाम' का अर्थ गीता अध्याय 8 श्लोक 21 में देखना चाहिए।) है अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमाहुः परमां गतिम्। यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ जो अव्यक्त 'अक्षर' इस नाम से कहा गया है, उसी अक्षर नामक अव्यक्त भाव को परमगति कहते हैं तथा जिस सनातन अव्यक्त भाव को प्राप्त होकर मनुष्य वापस नहीं आते, वह मेरा परम धाम है #Bhagwat_geeta श्री कृष्ण प्रनामी जो ए गोलोक के उपर परमधाम बताते हे येसा बेद से लेकर गीता तक किसि ग्रन्थ मे बर्णन नहि हे आर्थात गोलोक और परमधाम ब्रज धाम वृन्दाबन धाम सब एक हि हे ।। proof: Vedas, upanisadh,brahma sahita, shreemad bhagbatam, bhagwat geetaa सबमे सबसे उपर गोलोक हि बताया गया हे ....
@dinanathyadavdinanathyadav1939
@dinanathyadavdinanathyadav1939 Жыл бұрын
Jiv srishti ko kya samjhana
DhamDarshan 1
1:13:36
Lovely[Manish] Batra
Рет қаралды 116 М.
Каха и дочка
00:28
К-Media
Рет қаралды 3,4 МЛН
She made herself an ear of corn from his marmalade candies🌽🌽🌽
00:38
Valja & Maxim Family
Рет қаралды 18 МЛН
Amit Ji Live Now ( ISHQ Special Session )
1:25:30
Paramdham TV - Amit ji
Рет қаралды 10 М.
Каха и дочка
00:28
К-Media
Рет қаралды 3,4 МЛН