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हेलो हेलो दोस्तों मैं आज आप लोगों के एक सावन गीत सुनाने जा रही हूं जिसके बोल हैं झूला पड़ा मणि पर्वत पर हम सखी झूले जावे ना झूला पड़ा मनी पर्वत पर हम सखियों झूले जहां बेपनाह झूला पड़ा मणि पर्वत पर हम सखी झूले जा बना हम सख्त झूले जावे ना कि हम सकती थी झूलै है जहां बेपनाह झूला पड़ा मनी पर्वत पर हम सखी झूले जावे ना चार कुन अधिकतम खड़े हैं चार कुन अधिकतम भगोड़े रेशम लागेली डोर चीरना झुलुआ प्रणाम अनेक पर्वत पर हम सखी झूले जा बना झुलुआ पड़ा मंे पर्वत पर हम सखी झूले जा बना राधा झूला कृष्ण जिला में राधा झूले कृष्ण झुलावे बलदेव कोई खड़ा मना जलूवा प्रणाम अनेक पर्वत पर हम सखी झूले जाएं बना झुलुआ पड़ा मनी पर्वत पर हम सखी झूले जाएं बना सीता झूले रे राम जी जुलावे सीता झूले राम जुलाई कि लक्ष्मण डिक कोई कड़ा मैं ना जलूवा पड़ा मनी पर्वत पर हम सखी झूले जा बना झुलुआ पड़ा मनी पर्वत पर हम सखी झूले जाएं बना जलूवा प्रणाम शनि पर्वत पर हम सखी झूले जाए बेचना है